कानपुर के दो शख्सियतों को सम्मानित करेंगे राष्ट्रपति, आज प्रो.एचसी वर्मा और कल अशोक साहू को मिलेगा पद्मश्री
आइआइटी कानपुर के पूर्व प्रोफेसर हरिश्चंद्र वर्मा ने भौतिक विज्ञान को नया आयाम दिया और भौतीकी क्षेत्र में तमाम उपलब्धियों के लिए जाना जाता है। अशोक साहू ने जीवन को दिया नया दर्शन और देश के कई शहरों में प्रसिद्ध पाई है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। शहर की दो शख्सियतों को राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। आइआइटी कानपुर से सेवानिवृत्त भौतिकी के प्रोफेसर एचसी वर्मा को सोमवार और अंतरराष्ट्रीय विपश्यना साधना केंद्र ड्योढ़ी घाट के संस्थापक अशोक कुमार साहू को मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में यह सम्मान मिलेगा। प्रो.वर्मा को जहां भौतिकी के क्षेत्र में तमाम उपलब्धियों के लिए जाना जाता है, तो वहीं युवाओं से लेकर वृद्धजनों तक का अवसाद दूर कर उन्हे जीवन जीने की कला सिखाने वाले अशोक साहू देश के कई शहरों में प्रसिद्ध हैं।
प्रो. हरिश्चंद्र ने दिया भौतिक विज्ञान को नया आयाम
भौतिक विज्ञान की परिभाषाओं, सूत्रों, सवालों व नियमों को आसानी से समझाने की बात आती है तो आइआइटी कानपुर के पूर्व प्रोफेसर हरिश्चंद्र वर्मा का नाम खुद ब खुद जुबां पर आ जाता है। भौतिकी को उन्होंने इतना सरल करके दिखाया है कि कोई भी छात्र उनके बताए हुए तरीके से बड़ी से बड़ी परिभाषा व सूत्र तैयार कर सकता है। आइआइटी कानपुर से एमएससी करने वाले प्रो. हरिश्चंद्र वर्मा ने 1994 में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर यहां ज्वाइन किया था। उन्होंने यहां पर नैनो फैब्रिकेशन, न्यूक्लिअर फिजिक्स, नैनो साइज मैगनेटिक मेटीरियल के क्षेत्र में कई शोध किए हैं। पटना साइंस कालेज से आइआइटी में आने से पहले 1979 से 1994 तक उन्होंने साइंस कॉलेज पटना में लेक्चर के पद पर सेवाएं दीं। प्रो. वर्मा ने जरूरतमंद ब'चों को पढ़ाने व उन्हें स्कूल तक पहुंचाने के लिए शिक्षा सोपान कार्यक्रम शुरू किया। इस कार्यक्रम के जरिए उन्होंने ऐसे ब'चों के लिए छात्रवृत्ति की शुरुआत की जिसका लाभ कई ब'चे उठा चुके हैं।
अशोक ने की थी विपश्यना साधना केंद्र
इसी तरह करीब 11 वर्ष पहले सिविल लाइंस निवासी अशोक कुमार साहू ने विपश्यना साधना केंद्र की स्थापना की थी। वह बताते हैं, कि उन्हें माइग्रेन की शिकायत हुई थी। उनके सिर में दर्द से बेचैनी रहती थी। एक जानकार ने उन्हें बताया था कि लखनऊ में विपश्यना साधना केंद्र का शिविर लग रहा है, वहां जाकर कोर्स कर लें। वह कोर्स में शामिल हुए तो बहुत लाभ हुआ। इतना प्रभावित हुए कि कानपुर में यह केंद्र स्थापित कर दिया। उन्होंने बताया कि शहर में बढ़ते शोर शराबे, भागदौड़ भरी ङ्क्षजदगी व तनाव को यह कोर्स दूर करता है। अब तक हजारों लोग इसका लाभ उठा चुके हैं। उन्होंने बताया कि ड्योढ़ीघाट स्थित केंद्र की खासियत यह है, कि यहां 47 अलग-अलग भाषाओं में साधना कराइ जाती है। पद्मश्री के लिए प्रो.वर्मा के नाम की घोषणा वर्ष 2020 व अशोक साहू की 2021 में क गई थी।