Income Tax News: 30 सितंबर और एक अक्टूबर का ध्यान रखें करदाता, बदल रहे बहुत से नियम
ऑनलाइन दाखिल पुराने रिटर्न का सत्यापन नहीं हो पाने की स्थिति में 30 सितंबर तक सत्यापन कराना होगा। व्यापारियों और उद्यमियों को इन तारीखों पर आयकर और जीएसटी का ध्यान रखना होगा वरना कारोबार पर काफी प्रभाव पड़ने वाला है।
कानपुर, जेएनएन। व्यापारियों-उद्यमियों के ऊपर 30 सितंबर और एक अक्टूबर का खासा प्रभाव पडऩे वाला है। इन तारीखों में बहुत से नियम बदल भी रहे हैं। इसके अलावा कई टैक्स की 30 सितंबर अंतिम तारीख है तो कई की शुरुआत एक अक्टूबर से हो रही है। ये तारीखें जीएसटी में भी हैं और आयकर में भी। इनका आने वाले समय में कारोबार पर काफी प्रभाव पडऩे वाला है।
इनका रखें ध्यान
- 1- वित्तीय वर्ष 2018-19 यानी आयकर के कर निर्धारण वर्ष 2019-20 के आयकर रिटर्न बढ़ी हुई तारीख 30 सितंबर तक ही दाखिल हो सकेंगे। पहले ये रिटर्न 31 मार्च तक ही दाखिल किए जा सकते थे। इसके बाद इन रिटर्न को अपनी तरफ से दाखिल नहीं कर सकेंगे।
- 2- आयकर के ऑनलाइन दाखिल पुराने रिटर्न जिनका बेंगलुरु स्थित सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर में सत्यापन नहीं हो पाया है, उनका 30 सितंबर तक सत्यापन कराना होगा।
जीएसटी पोर्टल से ही काटनी होगी इनवाइस
जिन उद्यमियों या कारोबारियों ने पिछले वित्तीय वर्ष में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिक्री की है, उन्हें एक अक्टूबर 2020 से माल खरीदने वाले कारोबारियों को जीएसटी पोर्टल से ही ई-इनवॉयस, क्रेडिट नोट व डेबिट नोट जारी करने होंगे।
फार्म 9 और 9ए जमा करें
जिन उद्यमियों या कारोबारियों का वार्षिक कारोबार दो करोड़ रुपये से ऊपर है, वित्तीय वर्ष 2018-19 के जीएसटी वार्षिक रिटर्न के फार्म-9 व 9ए को 30 सितंबर तक फाइल करना होगा। दो करोड़ से ऊपर की राशि पर इसे दाखिल करना जरूरी नहीं है।
9सी रिटर्न भी जरूरी
कारोबारियों को वित्तीय वर्ष 2018-19 के जीएसटी रिटर्न 9सी (ऑडिट रिटर्न) 30 सितंबर तक फाइल करने हैं। पांच करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार पर यह अनिवार्य है, लेकिन उसके नीचे जरूरी नहीं है।
10 करोड़ से ऊपर के कारोबारी टीसीएस करेंगे
जिन उद्यमियों या कारोबारियों ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में 10 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार किया है, वे एक अक्टूबर 2020 से अपने खरीदारों से 0.1 फीसद टैक्स कलेक्शन एट सोर्स करेंगे। इसके तहत वह भुगतान लेते समय इतनी राशि और लेंगे। यह वसूली ऐसे खरीदारों से होगी जिनकी बिक्री पिछले वर्ष 50 लाख रुपये से ऊपर होगी। यदि खरीदार पैन या आधार कार्ड नहीं देगा तो यह वसूली एक फीसद हो जाएगी।