जीएसटी के वार्षिक रिटर्न में रखना होगा आयकर का ख्याल, मिसमैच डाटा पर हो सकती कार्रवाई
कारोबारियों को इस वर्ष 31 दिसंबर को वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-20 के वार्षिक रिटर्न फाइल करने हैं। इसमें आयकर के 26एएस में जीएसटी रिटर्न दिखने की वजह से दोनों के रिटर्न का ध्यान रखना बेहद आवश्यक हो गया है।
कानपुर, जेएनएन। इस माह कारोबारियों और टैक्स सलाहकारों के सामने कई समस्याएं रहेंगी। जीएसटी के दो वार्षिक रिटर्न उन्हें एक साथ भरने होंगे। दोनों की अंतिम तारीख 31 दिसंबर है। वैसे भी वार्षिक रिटर्न काफी मुश्किल माना जाता है क्योंकि इसमें वर्ष भर के सभी रिटर्न का ठीक-ठीक डाटा जाना चाहिए। अब तो दो वर्ष के वार्षिक रिटर्न फाइल होने हैं, इसलिए दोनों में क्या आंकड़े दे रहे हैं। इसका भी ध्यान रखना होगा। इसके अलावा आयकर के 26एएस में भी जीएसटी के रिटर्न दिखने लगे हैं। इससे कारोबारियों को ध्यान रखना होगा कि वे अपने रिटर्न का भी ध्यान रखें कि आयकर में क्या रिटर्न फाइल किया। जीएसटी में रिटर्न फाइल करें ताकि डाटा मिसमैच ना हो वरना कार्रवाई की जद में आ सकते हैं।
मिलान करके भरें रिटर्न
वित्तीय वर्ष 2018-19 का रिटर्न फाइल करते समय उस वर्ष का जो इनपुट टैक्स क्रेडिट वित्तीय वर्ष 2019-20 में लिया है, उसका ध्यान रखना है। इसके अलावा जब 2019-20 का वार्षिक रिटर्न फाइल करेंगे तो 2018-19 की जो आइटीसी क्लेम की है, उसे भरनी पड़ेगी। अब 26एएस में जीएसटी का 3बी रिटर्न दिख रहा है। इसलिए इसका मिलान करके वार्षिक रिटर्न उसके हिसाब से ही संशोधित कर लें।
अमान्य हो सकती आइटीसी
कारोबारियों को अब जीएसटी के रिटर्न फाइल करते समय आयकर के रिटर्न के बारे में भी सोच लेना चाहिए। इसके साथ ही कारोबारी को खरीद की आइटीसी के विवरण के साथ बिक्री के सारे विवरण दाखिल करने होंगे। आइटीसी का जो दावा 3बी में किया गया है, यदि वह मिसमैच है तो उसके लिए संतोष जनक उत्तर बना लेना चाहिए क्योंकि विभाग नोटिस जारी कर आइटीसी को अमान्य करार दे सकता है।
- खरीद बिक्री के आंकड़ों का बहीखातों से मिलान कर लें। अगर कोई अंतर है तो उसका जवाब बनाकर तैयार कर लें। एेसा ना करने पर विभाग कार्रवाई कर सकता है। -शिवम ओमर, चार्टर्ड अकाउंटेंट