एलएलआर अस्पताल में अवैध रूप से चल रहा डायग्नोस्टिक सेंटर
- वर्ष 2018 में वेट लीज खत्म होने के बाद भी हुक्मरानों से मिलीभगत कर हैं काबिज हैं। - एजी आफिस
- वर्ष 2018 में वेट लीज खत्म होने के बाद भी हुक्मरानों से मिलीभगत कर हैं काबिज
- एजी आफिस के आडिटर ने दो साल से अवैध रूप से चल रहे सेंटर के मांगे कागजात
जागरण संवाददाता, कानपुर: जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) में दो साल से अवैध रूप से डायग्नोस्टिक सेंटर चल रहा है। वहां पर धड़ल्ले से अस्पताल एवं बाहरी मरीजों की एमआरआइ और सीटी स्कैन जांच की जा रही है। दो साल से अवैध रूप से चल रहे सेंटर को लेकर आडिट के लिए आई टीम ने आपत्ति उठाई है। इस पर प्रयागराज के महालेखाकार (एजी आफिस) के आडिटर ने सेंटर से जुड़े सभी अभिलेख तलब किए हैं। एजी आफिस से रिपोर्ट मांगे जाने के बाद से शासन से लेकर मेडिकल कालेज प्रशासन में खलबली मच गई है।
एलएलआर अस्पताल परिसर में इमरजेंसी के सामने लाइफ लाइन स्पाइरल ने वित्तीय वर्ष 2008 में वेट लीज (ठेका) पर सीटी स्कैन एवं एमआरआइ मशीन लगाई थी। अनुबंध के तहत प्राथमिकता पर अस्पताल के मरीजों की रियायती दर पर जांच की सुविधा प्रदान करनी है। उसके बाद निजी अस्पतालों के मरीजों को जांच की सुविधा भी प्रदान की जा सकती है। इस सेंटर में होने वाली कुल जांच का 10 फीसद वीआइपी, जरूरतमंद, गरीबों एवं लावारिस मरीजों की निश्शुल्क जांच की जानी है। साथ ही प्रति माह का किराया भी निर्धारित है।
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शासन से एक बार ही अनुबंध का विस्तार
पांच साल के लिए ही वेट लीज का करार हुआ था, जो वर्ष 2013 तक था। उसके बाद दोबारा अनुबंध का विस्तार किया गया, जो वर्ष 2018 में खत्म हो गया है। उसके बाद से यह सेंटर परिसर में अवैध रूप से ही चल रहा है।
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आडिट टीम के सवाल, कैसे चल रहा सेंटर
मेडिकल कालेज एवं एलएलआर अस्पताल में एजी आफिस से आडिट करने के लिए टीम आई थी। टीम ने लेखा परीक्षण के दौरान लाइफ लाइन स्पाइरल सेंटर को लेकर सवाल उठाए हैं। पूछा है कि जब अनुबंध खत्म हो चुका है तो तीन साल से किस आधार पर सेंटर का संचालन हो रहा है। इससे जुड़े कागजात भी मांगे हैं।
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निश्शुल्क जांच में आनाकानी
जरूरतमंद एवं गरीब मरीजों की निश्शुल्क जांच में सेंटर में आनाकानी की जाती है। सुबह जांच के लिए आने पर शाम को बुलाया जाता है। ऐसी शिकायतें लगातार अस्पताल और मेडिकल कालेज प्रशासन तक पहुंचती हैं। जांच रिपोर्ट के लिए भी दो-दो दिन तक मरीजों को दौड़ाया जाता है।
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यह है स्थिति
150-200 मरीज रोज इमरजेंसी में आते
1000 मरीज रोज ओपीडी में आते
40-45 मरीजों की एमआरआइ जांच रोजाना
150-155 मरीजों की सीटी स्कैन जांच रोजाना
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डायग्नोस्टिक सेंटर का वर्ष 2018 में अनुबंध खत्म हो गया है। उसके बाद से मौखिक आदेश पर सेंटर का संचालन किया जा रहा है। इसको लेकर आडिटर ने आपत्ति जताई है। पूर्व प्राचार्य ने सीटी और एमआरआइ मशीन का प्रस्ताव शासन को भेजा था, जिसे बाद में निरस्त कर दिया गया। कालेज के रेडियोडायग्नोस्टिक विभाग के जूनियर रेजीडेंट ने एमआरआइ सीटी स्कैन मशीन न होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर थी थी। इस पर कोर्ट ने शासन ने जवाब तलब किया है।
प्रो. संजय काला, प्राचार्य जीएसवीएम मेडिकल कालेज