प्रदेश में शहरों और गांवों को साफ पानी देने के लिए आइआइटी से सरकार ने मिलाया हाथ
सरकार को पानी साफ करने की तकनीक देंगे आइआइटी के विशेषज्ञ। गंदगी और दूषित पानी से शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में फैलती है बीमारियां। टेनरियों का पानी भी साफ करने पर होगा जोर।
कानपुर(जागरण संवाददाता)। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में दिन पर दिन दूषित पानी की समस्या बढ़ती जा रही है। दूषित पानी के सेवन से बीमारियों का प्रकोप फैलता है और न जाने कितने लोग अपनी जान तक गंवा देते हैं। ऐसे में अब प्रदेश को गंदे पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए सरकार ने आइआइटी से हाथ मिलाया है। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को 100 फीसद शुद्ध पेयजल मिलेगा। वह क्षेत्र सरकार की निगाह में हैं, जहां भू-जल दूषित हो चुका है। ऐसे क्षेत्रों के पानी को साफ कर घरों तक पहुंचाने के लिए कम लागत की आधुनिक तकनीक इजाद करने का प्रदेश के अपर मुख्य सचिव पंचायत राज आरके तिवारी ने मसौदा तैयार किया है।
क्यों पड़ी जरूरत
बीमारियों पर लगेगी लगाम, कम होगा दवाओं का बोझ
अक्सर देखने में आया है कि गंदगी और दूषित पानी की वजह से बीमारियां फैलती हैं। इससे लोगों पर दवाओं का खर्च बढऩे के साथ जान तक जाने की संभावना बनी रहती है। बीते वर्षों में डायरिया, मलेरिया, डेंगू, जापानी बुखार आदि का प्रकोप फैलने से कई लोगों की मौत हो चुकी है। एक आंकलन के अनुसार प्रत्येक परिवार तक औसतन प्रतिवर्ष 50 हजार रुपए की दवाएं का बोझ पड़ रहा है। इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) चार से पांच फीसद प्रभावित हुआ है। पूरा प्रदेश ओडीएफ होने के बाद दवाओं के खर्चों से दबे परिवारों को राहत मिलेगी। जो जिले ओडीएफ के दायरे में आ चुके हैं, वहां संक्रामक रोगों में गिरावट आई है।
कानपुर पर अधिक फोकस
प्रदेश के अपर मुख्य सचिव पंचायत राज ने बताया कि इसी मसौदे के तहत आइआइटी कानपुर से वार्ता की जा रही है। शनिवार को आइआइटी में सोशल एंटरप्रेन्योर्स इंटरप्राइजेज कार्यक्रम का उद्घाटन करने आए आरके तिवारी ने बताया कि प्रदेश के अन्य शहरों की तुलना में कानपुर पर अधिक फोकस किया जा रहा है, क्योंकि यहां पर प्रदूषण की मात्रा अधिक है। दो महीने में इस शहर को ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) करने का लक्ष्य है, जबकि दिसंबर तक पूरा प्रदेश ओडीएफ के दायरे में होगा। वर्तमान समय में 30 जिले ओडीएफ हैं।
टेनरियों के दूषित पानी को साफ करने पर जोर
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि ऐसी योजना बनाई जा रही है कि जिससे टेनरी का पानी साफ होकर गंगा में जाएगा। इसके लिए भी आइआइटी से तकनीकी सलाह ली जाएगी। इसके अलावा प्रदेश के एक लाख गांवों में से चार हजार गांवों में पाइप लाइन से जलापूर्ति शुरू कर दी गई है। बाकी गांवों में भी यह व्यवस्था करने का काम जारी है। इससे ग्रामीणों को दूषित भू-जल पीने के लिए इस्तेमाल नहीं करना पड़ेगा और वे बीमारियों की चपेट में नहीं आएंगे। आइआइटी एल्युमिनाई एसोसिएशन के कार्यक्रम में निदेशक प्रो. अभय करंदीकर, बायो इंक्यूबेटर के फैकेल्टी कोऑॅर्डिनेटर प्रो. अमिताभ बंदोपाध्याय, एल्युमिनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप भार्गव समेत उद्यमी व छात्र मौजूद रहे।