अगर आपके पास आइडिया है तो आइआइटी कानपुर एक साल तक देगा 50 हजार रुपये महीना
मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आइआइटी ने बिजली क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले उपकरण देश में बनाने की पहल की है। इसके लिए इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन हब के सहयोग से कंपनी तैयार की जाएगी।
कानपुर, जेएनएन। अगर आपके पास विद्युत फाल्ट रोकने के लिए कोई आइडिया है और वह आइआइटी कानपुर को पसंद आ गया तो संस्थान पचास हजार रुपये महीना देगी। इसके साथ ही कंपनी बनाने और तैयार उत्पाद के लिए बाजार भी उपलब्ध कराएगी। इससे पॉवर सेक्टर में स्टार्टअप का सपना देखने वाले युवाओं को उड़ान मिलेगी।
देश के कई बड़े राज्यों में विद्युत फाल्ट और लाइन की लॉस की समस्याएं भी विकास में बाधक बन रही हैं। अब आइआइटी कानपुर पॉवर फाइनेंस कॉर्पोरेशन के सहयोग से पॉवर सेक्टर में नया अध्याय लिखना चाहता है और स्टार्टअप का सहारा लिया जा रहा है। इसमें विद्युत फॉल्ट रोकने, कम से कम लाइन लॉस, बिजली और पॉवर सेक्टर में उपयोग होने वाले सस्ते उपकरण तैयार करने का आइडिया रखने वाले को आइआइटी की ओर से एक साल तक 50 हजार रुपये महीना दिया जाएगा।
वैज्ञानिक आइडिया देने वाले प्रतिभागी के काम और फंक्शन कराने में संस्थान के विशेषज्ञ सहयोग करेंगे। संस्थान की ओर से यह जिम्मेदारी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग को मिली है। इतना ही नहीं कंपनी बनाने और तैयार उत्पाद के लिए मार्केट भी मुहैया कराएगी। इसमें प्रशिक्षण और उत्पाद में विशेषज्ञों की राय भी शामिल रहेगी। आइआइटी तीन आइडिया को चयनित करेगी।
इंजीनियरों को दिया जाएगा प्रशिक्षण
केस्को, यूपीपीसीएल, पॉवर ग्रिड समेत अन्य कंपनियों के इंजीनियरों और कर्मचारियों को कम समय में फॉल्ट खोजना, तकनीकी समस्या को जल्द से जल्द दूर करने की जानकारी दी जाएगी, वहीं उपकरणों और पॉवर सिस्टम को संचालित करने की सस्ती डिवाइस तैयार करने वालों को बढ़ावा मिलेगा।आइआइटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रो. अंकुश शर्मा ने बताया कि प्रोजेक्ट तीन साल का है। प्रत्येक वर्ष 30 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसमें पॉवर सेक्टर कंपनियों के इंजीनियरों और विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ शामिल हो सकेंगे। उन्हें नई तकनीक के बारे में बताया जाएगा।
मेक इन इंडिया को बढ़ावा
आइआइटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि मेक इन इंडिया को बढ़ावा दिया जा रहा है। अब तक बिजली क्षेत्र में काफी उपकरण चीन और अन्य देशों से बनकर आ रहे थे। इसमें रिले, ट्रांसफार्मर आदि शामिल हैं।