IIT Kanpur के विशेषज्ञों ने बनाई गजब की डिवाइस, बच्चों का इलाज होगा अासान, मुख के कैंसर का भी लगाएगी पता
कानपुर आइआइटी के विशेषज्ञों ने केजीएमयू लखनऊ के डॉक्टरों के साथ मिलकर फ्लेक्सिबल जॉ ओपनिंग डिवाइस बनाई है इससे मुख के कैंसर के उपचार में गले के अंदर तक देखा जा सकता है। इस डिवाइस का पेटेंट भी कराया है।
कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। दांतों के इलाज, मुख कैंसर के साथ गले में दिक्कत पर अंदर तक देखकर बेहतर इलाज मुहैया कराने में अब फ्लेक्सिबल (लचीला) जॉ ओपनिंग डिवाइस मददगार बनेगी। इससे कई बार कम या ज्यादा मुंह खुलने, उपचार करते समय अचानक बंद होने से खड़ी होने वाली समस्या खत्म होगी। मरीज को बार-बार मुंह खोलने व बंद करने की दिक्कत से भी छुटकारा मिलेगा। ये डिवाइस तैयार की है आइआइटी कानपुर और लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के विशेषज्ञों ने। इसका पेटेंट भी कराया जा चुका है।
आइआइटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर व मेडटेक के कोआर्डिनेटर जे. राम कुमार के निर्देशन में शोधार्थी सिद्धांत श्रीवास्तव ने केजीएमयू के डॉ. समीर गुप्ता, डॉ. शालिनी गुप्ता, डॉ. एमएलबी भट्ट के साथ मिलकर डॉक्टरों और संस्थान के अन्य विशेषज्ञों के सहयोग से डिवाइस की डिजाइन तैयार की। यह मेडिकल ग्रेड स्टेनलेस स्टील से तैयार हुई है। इसमें सिलिकॉन की परत लगाई जाती है। इससे मुख की जांच, बायोप्सी और माइनर सर्जरी सरल तरीके से की जा सकती है। शोधार्थी सिद्धांत श्रीवास्तव ने बताया कि पैराबोलिक पार्ट (परवलयिक भाग) को मुख में रखा जाता है। जबकि समानांतर प्लेटें बाहर की और रहती हैं। इन्ही प्लेटों पर नट व बोल्ट लगे हैं, जिसको जरूरत के हिसाब से कम या ज्यादा किया जा सकता है।
गंभीर घायलों व बच्चों के इलाज में ज्यादा कारगर
गंभीर रूप से घायल बेहोश लोगों के जबड़े या मुंह के साथ बच्चों के दांतों के इलाज में काफी दिक्कत आती है। ऐसे में यह डिवाइस काफी कारगर साबित होती है। इसके साथ ही कैंसर के रोगियों में भी ये काफी कारगर साबित होगी। डिवाइस का एडवांस वर्जन जल्द ही तैयार हो जाएगा। यह रोगियों के मुंह की एक्सरसाइज में भी काम आएगी। इसका वो खुद या स्वजन की मदद से इस्तेमाल कर सकेंगे।
स्टरलाइज करना आसान
प्रो. जे. रामकुमार के मुताबिक, फ्लेक्सिबल जॉ ओपनिंग डिवाइस को स्टरलाइज करना बेहद आसान है। इसके कीटाणु रहित होने पर सिलिकॉन की परत चढ़ाई जाती है। इस्तेमाल के बाद सिलिकॉन हटा दी जाती है। स्टरलाइज करने पर वह गरम होकर गल जाती है, वैसे भी एक मरीज की इस्तेमाल सिलिकॉन बदल ही दी जती है। सिलिकॉन की वजह से मेटल दांत या गाल से नहीं लड़ती और मुंह में घाव नहीं होते। दाईं और बाईं ओर पेंच लगे होने से इसमें रोगी को किसी तरह की असुविधा नहीं होती है।
500 रुपये है लागत, बड़े पैमाने पर निर्माण पर होगी कम
विशेषज्ञों के मुताबिक, डिवाइस की लागत करीब 500 रुपये है। बड़े पैमाने पर तैयार करने पर लागत और भी कम हो जाएगी। जल्द ही बाजार में उतारने की तैयारी है। कुछ कंपनियों से बातचीत भी हुई है।
- जॉ ओपनिंग डिवाइस के क्लीनिकल ट्रायल में काफी अच्छे परिणाम सामने आए हैं। अब तक केवल एक तरफ ही मुंह खोलने की डिवाइस आ रही थी। शासन से ग्रांट के लिए बातचीत चल रही है। इसको मॉडीफाइ किया जाएगा। सस्ते उपकरण की वजह से मरीजों को निश्शुल्क दिया जा सकेगा। -प्रो. शालिनी, डिपार्टमेंट ऑफ ओरल पैथोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी, केजीएमयू
- मुख कैंसर में रोगियों का मुंह आसानी से नहीं खुलता है। माइनर सर्जरी या बायोप्सी में टिश्यू लेना मुश्किल रहता है। इस डिवाइस से अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। आइआइटी के साथ मिलकर इसे और बेहतर बनाया जा रहा है। -प्रो.समीर गुप्ता, सॢजकल ऑन्कोलॉजी, केजीएमयू