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भारतीय सेना को यूएवी और ड्रोन से ताकतवर बनाएगा आइआइटी कानपुर, मजबूत होगा सर्विलांस सिस्टम

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत भारतीय सेना के लिए रक्षा उपकरणों को तैयार करने की तकनीक को विकसित किया जाएगा इसके लिए आइआइटी कानपुर का बेंगलुरु की कंपनी डायनामेटिक टेक्नोलॉजी लिमिटेड के साथ ई-एमओयू साइन हुआ है ।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 10 Nov 2020 07:41 AM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2020 12:49 PM (IST)
भारतीय सेना को यूएवी और ड्रोन से ताकतवर बनाएगा आइआइटी कानपुर, मजबूत होगा सर्विलांस सिस्टम
आइआइटी कानपुर अब रक्षा तंत्र को और मजबूत बनाएगा।

कानपुर, जेएनएन। अब आइआइटी कानपुर भारतीय सेना को और ताकतवर बनाएगा। यहां अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित मानव रहित वायुयान (यूएवी) और ड्रोन तैयार किए जाएंगे, जिनसे न सिर्फ सर्विलांस सिस्टम मजबूत होगा, बल्कि किसी भी तरह के रेस्क्यू में आसानी होगी। इसके लिए सोमवार की शाम को बेंगलुरु की डायनामेटिक टेक्नोलॉजी लिमिटेड के साथ ई-एमओयू साइन हुआ है। यह रक्षा उपकरण आत्मनिर्भर अभियान के अंतर्गत तैयार किए जाएंगे।

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आइआइटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर, डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रो. एआर हरीश और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रो. अभिषेक और डायनामेटिक टेक्नोलॉजी की ओर से एमडी व सीईओ डॉ. उदंत मल्होत्रा, ग्लोबल सीओओ अरविंद मिश्रा करार के दौरान मौजूद रहे। प्रो. अभिषेक ने बताया कि आइआइटी कानपुर कई यूएवी और ड्रोन बना चुका है। इसकी तकनीक को पेटेंट भी कराया गया है। विदेश में भी इसकी धूम रही है, लेकिन संस्थान इसका निर्माण नहीं कर सकता है। दूसरी ओर डायनामेटिक टेक्नोलॉजी को एयरक्राफ्ट, बोइंग के उपकरण बनाने का अनुभव है। भारत और यूरोप में तीन डिजाइन प्रयोगशालाएं हैं।

विब्रहम और नाविक की धूम

एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग की ओर से विब्रहम और नाविक यूएवी की धूम रही है। यह हेलीकॉप्टर की तरह ही उड़ान भर सकते हैं। विब्रहम में तो उलटा उडऩे की भी क्षमता है। विभाग की ओर से फ्लाइंग टैक्सी पर भी काम चल रहा है, जो मानव रहित है। संस्थान में इसकी फ्लाइट टेस्टिंग हो चुकी है। कई तरह से क्वाड कॉप्टर (बेहद छोटे ड्रोन) भी विकसित किए जा चुके हैं।

ये होंगी खूबियां

  • -सर्विलांस के समय दुश्मनों को दे सकेगा चकमा।
  • -बेहद कम होगी आवाज, एक घंटे से अधिक समय तक हवा में उड़ान भर सकेगा।
  • -20 से 40 किलोग्राम की राहत सामग्री पहुंचाने में सहयोग करेगा।
  • -संवेदनशील क्षेत्रों की सटीक फोटो और वीडियो ले सकेगा।
  • -20 हजार फीट तक की ऊंचाई पर उडऩे में कामयाब होगा।
  • -पेट्रोल और बैट्री चालित रहेगा।
  • - रडार सिस्टम को भी चमका दे सकेगा।

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