नेत्र दिव्यांगों के लिए आइआइटी के विशेषज्ञों ने बनाई खास घड़ी, जानिए-क्या है इसकी खासियत
नेत्र दिव्यांग आज कई जगहों पर आम लोगों की तरह कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। ऐसे में समय देखने के लिए अबतक नेत्र दिव्यांग बोलने वाली घड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन अब आइआइटी विशेषज्ञों ने उनके खास तरह की घड़ी इजाद की है।
कानपुर, जेएनएन। आज नेत्र दिव्यांग भी सभी क्षेत्रों में आम लोगों की तरह कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। वह चाहे सरकारी नौकरी हो या फिर किसी कंपनी में ऊंचा ओहदा या फिर फैक्ट्री के अंदर का काम, इन सभी जगह नेत्र दिव्यांग अपनी प्रतिभा से लोगों को टक्कर दे रहे हैं। उनकी सुविधा के लिए आइआइटी विशेषज्ञों ने खास तरह की घड़ी बनाई है। इससे उन्हें काफी लाभा मिलेगा, विशेषज्ञों की इस आविष्कार पर आइआइटी निदेशक ने बधाई भी दी है।
आइआइटी के निदेशक ने दी बधाई
नेत्र दिव्यांगों के लिए बोलकर समय बताने वाली घड़ी पहले से ही है, लेकिन यह कई बार मीटिंग या शांत क्षेत्र के लिए मुफीद नहीं रहती। इस समस्या को दूर करने के लिए आइआइटी के विशेषज्ञों ने खास तरह की घड़ी तैयार की है, जिसके कंपन से ही समय का पता लग जाएगा। इस तकनीक को पेटेंट करा लिया गया है, जिसका एडवांस वर्जन भी जल्द आ जाएगा। इसमें कई तरह की खूबियां होंगी। घड़ी निर्माण के लिए कंपनियों से बातचीत की जाएगी। आइआइटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने ट्वीट कर संस्थान के विशेषज्ञों को बधाई दी।
इस तरह काम करती है घड़ी
संस्थान के नेशनल सेंटर ऑफ फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रो. सिद्धार्थ पंडा और रिसर्च एसोसिएट विश्वराज श्रीवास्तव ने छूकर महसूस और कंपन करने वाली घड़ी तैयार की है। प्रो. पंडा के मुताबिक घड़ी में किसी तरह की कोई सुई नहीं है। डिजिटल सिस्टम भी नहीं लगाया गया है। घड़ी का सर्किट सामान्य घडिय़ों की तरह है, जो बैटरी से चलती है। इसमें 12 प्वाइंट हैं। इनको घड़ी के क्रम में छूने पर जितना समय होगा, उस जगह कंपन शुरू हो जाएगा। अगर सवा सात बज रहे हैं। उसको पता करने के लिए सात के पास अंगुली पहुंचते ही कंपन होगा। फिर दूसरे चक्कर में 15 के पास अलग तरह का कंपन होगा। आइआइटी में नेत्र दिव्यांग छात्रों पर ट्रायल किया गया है। उनके सकारात्मक परिणाम के बाद हरी झंडी मिली।