दुनिया का पहला सर्जिकल डिस्ट्रेक्टर बनाया, अब नहीं होगी रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन में चूक Kanpur News
आइआइटी कानपुर के इंजीनियरों और पीजीआइ लखनऊ के डॉक्टरों ने विशेष सर्जिकल टूल बनाया है।
कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। आइआइटी कानपुर के इंजीनियरों और संजय गांधी एसजीपीजीआइ लखनऊ के डॉक्टरों ने मिलकर खास सर्जिकल टूल विकसित किया है। उनका दावा है कि यह दुनिया में अपनी तरह का पहला यंत्र है। रीढ़ की हड्डी, विशेषकर गर्दन वाले हिस्से में ऑपरेशन की जटिलता इस टूल 'सर्जिकल डिस्ट्रेक्टरÓ से दूर हो जाएगी। सफल प्रयोग के बाद व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया गया है और बहुत जल्द ही ऑपरेशनों में इसका उपयोग होने लगेगा।
लैब टेस्ट में सफल रहा सर्जिकल डिस्ट्रेक्टर
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, आइआइटी) कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. नचिकेता तिवारी, डिजाइन प्रोग्राम छात्र कार्तिक, संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) लखनऊ के ऑर्थोसर्जन (अस्थि शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ) डॉ. जयेश सरधरा और डॉ. संजय बिहारी की टीम ने यह सर्जिकल डिस्ट्रेक्टर तैयार किया है।
स्टील से बने आठ इंच के इस यंत्र का प्रायोगिक परीक्षण (लैब टेस्ट) सफल रहा है। इसके व्यावसायिक उत्पादन के लिए एक बड़ी कंपनी ने काम शुरू कर दिया है। स्टील की जगह अब इसे टाइटेनियम धातु से बनाया जा रहा है। एक माह में टाइटेनियम का डिस्ट्रेक्टर तैयार हो जाएगा। नए वर्ष में इसका प्रयोग एसजीपीजीआइ में सर्जरी के दौरान वरिष्ठ चिकित्सकों की देखरेख में होगा।
गर्दन वाले हिस्से के ऑपरेशन में होती थी कठिनाई
इस यंत्र को बनाने वाली टीम ने बताया, रीढ़ की हड्डी के गर्दन वाले हिस्से में पतली हड्डियां, रक्त नलिकाएं और मस्तिष्क से जुड़ी बारीक तंत्रिकाएं होती हैं। इसलिए सर्जरी के दौरान यह हिस्सा खोलना कठिन होता है। इसे अभी तक सामान्य उपकरण के जरिए हाथ से ही खोला जाता है। ऐसे में हड्डियां फिक्स नहीं हो पाती हैं। उनके खिसकने का डर रहता है। गैप फिक्स रहे, इसके लिए डॉक्टरों को बार-बार हाथ से ही हड्डी खिसकानी पड़ती है, जिसमें चूक की संभावना बनी रहती है।
अति उपयोगी साबित हो रहा यह यंत्र
सर्जिकल डिस्ट्रेक्टर के चिकित्सीय हिस्से का जिम्मा उठाने वाले डॉ. जयेश सरधरा ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी से रीढ़ की हड्डी के सी-1 और सी-2 जैसे ऊपरी हिस्से का ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है। रोबोटिक सर्जरी निचले हिस्से में ही कारगर है। बच्चों में पाई जाने वाली गंभीर बीमारी अटलांटा एक्सल डिसलोकेशन हो या गर्दन के पास रीढ़ की हड्डी संबंधी बीमारी, रोबोटिक सर्जरी कारगर नहीं है। इस ऑपरेशन में ऐसे टूल की जरूरत है, जो सर्जरी प्वाइंट की स्थिति को देखकर इस हिस्से को खोल सके और हड्डियां फिक्स कर सके। ऑपरेशन के समय इस हिस्से के सभी अवयवों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इन सभी कामों में यह यंत्र अति उपयोगी साबित हुआ है। सर्जिकल डिस्ट्रेक्टर के प्रयोग से सर्जरी की गुणवत्ता बढ़ेगी।
स्क्रू मैकेनिज्म पर आधारित है उपकरण
सर्जिकल डिस्ट्रेक्टर के मैकेनिकल हिस्से पर शोध करने वाले प्रो. नचिकेता तिवारी ने बताया कि स्क्रू मैकेनिज्म पर बने इस उपकरण से हड्डियां मिलीमीटर से भी महीन हिस्से तक खिसकाई और फिक्स की जा सकती हैं। यह डिस्ट्रेक्टर हड्डियों के बीच किए गए गैप को फिक्स कर देता है, जिससे हड्डियां जरा भी नहीं हिलतीं। सर्जरी के दौरान चिकित्सक को यह चिंता नहीं करनी होगी कि हड्डियां सरक तो नहीं गईं। इस उपकरण से ऑपरेशन का समय भी करीब एक तिहाई कम हो जाएगा।
-दुनिया में यह अपनी तरह का पहला यंत्र है। स्टील से बने आठ इंच के इस यंत्र का लैब टेस्ट सफल रहा है। अब इसे टाइटेनियम में बनाया जा रहा है, जिसके व्यावसायिक उत्पादन के लिए एक बड़ी कंपनी ने काम शुरू कर दिया है। -प्रोफेसर डॉ. नचिकेता तिवारी, मैकेनिकल संकाय, आइआइटी कानपुर
-बहुत जल्द ही एसजीपीजीआइ में होने वाले ऑपरेशनों में इसका उपयोग होने लगेगा। रीढ़ की हड्डी के अतिसंवेदनशील ऊपरी हिस्से सी-1 और सी-2 का भी अब गुणवत्तापूर्ण और सटीक ऑपरेशन संभव होगा। -डॉ. जयेश सरधरा, ऑर्थोसर्जन, एसजीपीजीआइ, लखनऊ