नहीं सजे मस्जिदों में इफ्तार के दस्तरख्वान, घरों में ही खोला रोजा, हालात बेहतर होने की दुआ
मगरिब के वक्त काफी बड़ी संख्या में मस्जिदों में लोग रोजा खोलते थे। मस्जिदों में रोजा खोलने वालों के लिए घरों से इफ्तारी बनाकर भेजी जाती थी। मस्जिदों रोजा खोलने वालों में आस पास के शहरों से आने वाले यात्रियों के साथ गरीबों की भी काफी संख्या होती थी।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना की वजह से मस्जिदों में सजने वाले दस्तरख्वान खत्म कर दिए हैं। मस्जिदों में केवल पांच लोगों के इबादत की शर्त के बाद इफ्तार भी नहीं हो पा रहा है। इफ्तार के वक्त मस्जिदों में सन्नाटा रहा। इमाम, मोअज्जिन व मुतवल्लियों ने ही मस्जिदों में रोजा खोला। वहीं घरों में ही लोगों ने दस्तरख्वान सजा कर इफ्तार किया। कोरोना के खात्मे तथा हालात बेहतर होने की दुआ की गई। रमजान आते ही हर तरफ चहल-पहल शुरु हो जाती थी। मस्जिदें नमाजियों से भर जाती थी। पांचों वक्त नमाज में नमाजियों की इतनी संख्या हो जाती थी कि लोगों को जगह नहीं मिलती थी।
मगरिब के वक्त काफी बड़ी संख्या में मस्जिदों में लोग रोजा खोलते थे। मस्जिदों में रोजा खोलने वालों के लिए घरों से इफ्तारी बनाकर भेजी जाती थी। मस्जिदों रोजा खोलने वालों में आस पास के शहरों से आने वाले यात्रियों के साथ गरीबों की भी काफी संख्या होती थी। रेलवे स्टेशन व बस अड्डे के आस-पास स्थित मस्जिदें तो इफ्तार से पहले यात्रियों से भर जाती थी। कोरोना ने मस्जिदों में सजने वाले दस्तरख्वान को खत्म कर दिया है। पिछले दो सालों से सिर्फ घरों में ही रोजा इफ्तार हो रहा है। गुरुवार को मस्जिदों में इफ्तार के वक्त सन्नाटा रहा। लोगों ने घरों में इफ्तार किया। कोरोना से निजात की दुआ भी की।