दिखाना है तो चुपचाप खड़ी रही, वरना घर में रहो
इंट्रो जिले में वायरल बुखार और डेंगू जानलेवा हो गया है। अस्पतालों में भीड़ उमड़ रही है।
इंट्रो: जिले में वायरल बुखार और डेंगू जानलेवा हो गया है। अस्पतालों में भीड़ उमड़ रही है। कुछ गांवों में मौतों का सिलसिला भी शुरू हो चुका है, लेकिन अभी भी जिम्मेदार सक्रिय नहीं हुए हैं। सरसौल स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) इसकी बानगी है। रामादेवी स्थित सीएमओ कार्यालय से महज 25 किमी दूर स्थित इस सीएचसी का हाल जानने की फुर्सत सीएमओ को ही नहीं है।यहां के कर्मचारी अभद्रता करते हैं और मरीजों को इसे बर्दाश्त करना पड़ता है। जागरण टीम ने बुधवार को यहां की पड़ताल की तो हैरान करने वाले दृश्य दिखाई दिए। जागरण संवाददाता, कानपुर : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) सरसौल के कर्मचारी बात-बात पर मरीजों से अभद्रता करते हैं। बुधवार को करबिगवां के उमेश पत्नी को दिखाने के लिए लाए थे। पर्चे की लाइन में खड़े थे, लेकिन यहां जान-पहचान वालों के पर्चे पहले बनाए जा रहे थे। जब उनकी पत्नी ने एतराज जताया तो कर्मचारी भड़क गया। कहने लगा- दिखाना है तो चुपचाप खड़ी रहो, वरना घर में रहो।
अधिकांश कक्ष थे खाली
सुबह 10 बजे तक यहां चिकित्सा अधीक्षक डा. रमेश कुमार आ चुके थे। दंत रोग विभाग में युवती बैठी थी। नेत्र रोग के डाक्टर थे, जबकि दूसरे डाक्टरों के कक्ष खाली थे। एक्सरे कक्ष बंद था। लैब टेक्नीशियन कमरा खोल रहा था। कैमरा चमकते ही वह अकड़ने लगा।
जांच की व्यवस्था नहीं
प्रेमपुर से आईं पुष्पा देवी को खून की जांच करानी थी। लैब टेक्नीशियन ने उन्हें यह कहते हुए लौटा दिया कि यहां जांच नहीं होती, बाहर से कराएं। इसी तरह पूरनपुर की अहिल्या देवी को भी लौटा दिया गया। असलम को भी बाहर से ही खून की जांच करानी पड़ी।
मेटरनिटी विंग में न नर्स न डाक्टर
जागरण टीम जब मेटरनिटी विंग पहुंची तो वहां सात प्रसूता व एक गर्भवती भर्ती थीं, लेकिन यहां न नर्स थीं और न ही डाक्टर मौजूद थीं। 10:20 बजे यहां नर्स पहुंची, उसके बाद ब्लाक प्रोग्राम अधिकारी आए। आरबीएसके के संविदाकर्मी, डा. अपर्णा समेत अन्य स्टाफ नर्स 11:30 बजे के बाद आईं। जिम्मेदार बोले
सीएचसी अधीक्षक डा. रमेश कुमार ने बताया कि लैब में रीएजेंट (रसायन) नहीं है, इस वजह से जांच नहीं हो रही है। इसके लिए सीएमओ को पत्र लिखा है। दो महिला चिकित्सक हैं, उन्हें नसबंदी के कार्य में लगाया गया है, जबकि एक डाक्टर मेगा वैक्सीनेशन में थक जाने की वजह से नहीं आई। यहां पर सात डाक्टर हैं, उनसे ही काम चलाया जा रहा है। सभी को समय से आने के लिए नोटिस दिया है। डाक्टर, कर्मचारियों को मरीजों से अच्छा बर्ताव करने का निर्देश भी दिया गया है।