जाम न होता तो प्रदूषण में बदनाम न होता कानपुर
कई दिन बाद कार्यालय खुले तो शहर की सड़कों पर भीड़ ज्यादा दिखी। सड़कें जाम से कसमसाई तो प्रदूषण की दर फिर बढ़ने लगी।
जागरण संवाददाता, कानपुर : कई दिन बाद कार्यालय खुले तो शहर की सड़कों पर भीड़ ज्यादा दिखी। सड़कें जाम से कसमसाई तो प्रदूषण की दर फिर बढ़ने लगी। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) में एक दिन के भीतर 25 अंकों का उछाल आ गया और एक्यूआइ 295 अंक पर पहुंच गया। जिससे प्रदूषित शहरों की सूची में यह शहर 17वें स्थान पर पहुंच गया। इससे साफ है कि शहर की हवा में प्रदूषण का सबसे ज्यादा जहर घोलने वाला इस शहर का जाम ही है।
शहर में जाम की समस्या बेहद अधिक है। एक तो क्रासिंग की वजह से लगने वाले जाम और दूसरे अतिक्रमण की वजह से संकरी सड़कों का जाम। इन दोनों कारणों से शहर की सड़कें दिन भर जाम से जूझते रहती है। जाम में फंसे वाहन धुआं उगलते रहते हैं। जिसकी वजह से बेहद हानिकारक गैसें हवा में घुल जाती हैं। यही वजह है कि कानपुर अभी चंद रोज पहले ही देश का सर्वाधिक प्रदूषित शहर बन गया था। शनिवार से स्कूलों और कार्यालयों में अवकाश के कारण प्रदूषण में गिरावट आई। जिससे रविवार को कानपुर देश में 23वें नंबर पर पहुंच गया था। लेकिन जैसे ही सोमवार को कार्यालय खुले फिर उछाल आ गया। बुधवार से जब शहर के स्कूल कॉलेज भी खुल जाएंगे तो इस प्रदूषण में और उछाल आने का डर है। ये हैं जाम के प्रमुख क्षेत्र
गोविंदपुरी पुल, दादानगर पुल, विजयनगर चौराहा, बड़ा चौराहा, परेड, गोविंदनगर चावला मार्केट, पुलिस लाइन के सामने महिला थाने के पास, नई सड़क, मेस्टन रोड, घंटाघर के पास बादशाही नाका, टाटमिल, जरीब चौकी, गुमटी, कोकाकोला चौराहा, मेडिकल कॉलेज पुल, नौबस्ता हाईवे पर, ट्रांसपोर्टनगर, कल्याणपुर पनकी मार्ग पर क्रासिंग के पास, रावतपुर क्रासिंग आदि। यूपी के पांच सर्वाधिक प्रदूषित शहर
शहर एक्यूआइ
गाजियाबाद 391
नोएडा 381
बुलंदशहर 338
हापुड़ 300
कानपुर 295 जाम से निपटने के लिए यातयात के सुगम संचालन के विषय पर संबंधित विभागों से विचार किया जा रहा है। जल्द ही पूरी कार्ययोजना बनाकर अतिक्रमण हटाने से लेकर वह सारे उपाय किए जाएंगे। जिससे जाम कम हो और प्रदूषण घटे।
विजय विश्वास पंत, जिलाधिकारी