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राष्ट्रीय टीकाकरण में शामिल की जाए एचपीवी वैक्सीन

यूपीएससी के वार्षिक सम्मेलन में अगोई की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने रखी बात

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 01:40 AM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 01:40 AM (IST)
राष्ट्रीय टीकाकरण में शामिल की जाए एचपीवी वैक्सीन
राष्ट्रीय टीकाकरण में शामिल की जाए एचपीवी वैक्सीन

जागरण संवाददाता, कानपुर : राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में ह्यूमन पेपीलोना वायरस (एचपीवी) वैक्सीन को भी शामिल किया जाए। नौ वर्ष से 15 वर्ष तक की किशोरियों का टीकाकरण कर बच्चेदानी के मुख कैंसर से उन्हें 70-80 फीसद तक बचाया जा सकता है। यह बातें रविवार को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलटी-3 में आयोजित यूपीएससी के वार्षिक सम्मेलन में अगोई की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शालिनी राजाराम ने कही।

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उन्होंने कहाकि महिलाओं में तीन प्रकार के कैंसर सबसे अधिक पाए जाते हैं। इसमें स्तन कैंसर, बच्चेदानी का मुख कैंसर और तीसरा अंडाशय का कैंसर है। पहले देश में बच्चेदानी के मुख कैंसर के 96 हजार नए केस सामने आते थे। जिनमें से 60 हजार की हर साल मौत हो जाती है। इसे जागरूकता से रोका जा सकता है। अस्तपाल आने वाली 25-30 वर्ष तक की महिलाओं की स्क्रीनिंग कर नियंत्रित कर सकते हैं। उन्होंने कहाकि शारीरिक संबंध बनाने से ही एचपीवी वायरस का संक्रमण होता है। इसकी वजह गरीबी एवं जागरूकता का अभाव है। कार्यशाला में मौजूद स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों को कैंसर के ऑपरेशन की विभिन्न तकनीक बताई। इस क्षेत्र में सर्जरी की आधुनिक विधा रोबोटिक के बारे में भी बताया। इससे पहले कार्यक्रम का उद्घाटन जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत एवं प्राचार्य डॉ. आरती दवे लालचंदानी ने किया। इसमें किरन पांडेय, डॉ. नीना गुप्ता, डॉ. शैली अग्रवाल, डॉ. पाविका लाल, डॉ. उरुजजहां एवं डॉ. कल्पना दीक्षित मौजूद रहीं।

अनियमित रक्तस्राव व डिस्चार्ज में न बरतें लापरवाही

अगोई की पूर्व अध्यक्ष एवं राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एवं रिसर्च सेंटर की स्त्री कैंसर रोग विभाग की प्रमुख डॉ. रूपेंद्र सिखोन ने कहाकि अगर महिलाओं में अनियमित रक्तस्राव एवं डिस्चार्ज हो रहा है तो इसमें लापरवाही न बरतें। इसका शुरुआत में पता लगाने से पूरी तरह इलाज संभव है। उन्होंने कहाकि सीएचसी एवं पीएचसी में भी पैरामेडिकल स्टॉफ को ट्रेंड कर जांच कराई जा सकती है। इसमें वाया एसिटो एसिड को 3-5 फीसद डाइल्यूट कर स्टेन कर बच्चेदानी मुख में रखें। अगर उसका रंग पिंक से सफेद हो जाए तो सामान्य है। अगर रंग नहीं बदले तो बच्चेदानी मुख कैंसर के लक्षण हैं।


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