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लुट कर एंबुलेंस से पहुंच रहे अस्पताल, एडवांस की मांग से हो रहा बुरा हाल

एंबुलेंस चालक मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए उनके तीमारदारों से कर रहे हैं वसूली।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 01:45 AM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 01:45 AM (IST)
लुट कर एंबुलेंस से पहुंच रहे अस्पताल, एडवांस की मांग से हो रहा बुरा हाल
लुट कर एंबुलेंस से पहुंच रहे अस्पताल, एडवांस की मांग से हो रहा बुरा हाल

केस एक : हैलट के बाहर खड़ी एंबुलेंस से मरीज को कल्याणपुर के गुबा गार्डन ले जाने के लिए केशव शर्मा से 1800 रुपये की मांग की गई। उन्होंने बताया कि मरीज नॉन कोविड है, तो एंबुलेंस चालक ने सौ रुपये कम देने की बात कही। डीएम द्वारा तय रेट की बात कही गई तो चालक ने कहा कि सरकारी एंबुलेंस बुक करा लें।

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केस दो : गोल चौराहे पर एंबुलेंस बुक कराने पहुंचे तीमारदार अनुज ने बताया कि कार्डियोलॉजी के बाहर खड़े एंबुलेंस चालक लखनऊ तक जाने का पांच हजार मांग रहे हैं। एंबुलेंस में ऑक्सीजन सेवा के लिए 2500 अतिरिक्त मांग रहे हैं। अनुज ने पास ही खड़ी देवराज एंबुलेंस सेवा के चालक से पूछा तो उसने भी यही रेट बताए।

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जेएनएन, कानपुर : कोविड काल के बीच एंबुलेंस चालकों की मनमानी प्रशासन की सख्ती के बाद भी लगातार देखने को मिल रही है। पहले अस्पतालों के बाहर लाइन लगाकर कई गुना ज्यादा किराया वसूलने वाले चालक अब ठेकेदारों के जरिए मरीज को ले जा रहे हैं। ऐसे में तीमारदारों को एंबुलेंस के लिए भटकना पड़ रहा है। हालांकि डीएम की ओर से किमी के हिसाब से रेट निर्धारित करने के साथ अधिक मांग करने वालों की शिकायत करने के लिए नंबर भी जारी किया गया है।

सोमवार को दैनिक जागरण की पड़ताल में देखने को मिला कि एंबुलेंस अचानक शहर के अस्पतालों के बाहर से गायब हो गई। कुछ दिनों पहले तक दर्जनों की संख्या में खड़ी रहने वाली एंबुलेंस अब इक्का-दुक्का ही देखने को मिल रही हैं। हैलट में मरीज भर्ती कराने पहुंचे श्याम नगर के तीमारदार ने बताया कि एंबुलेंस खोजने से भी नहीं मिल रही हैं। अधिक किराया देने पर ही चालक चलने की बात कहते हैं। जब उनको निर्धारित मूल्य लेने की बात कहो तो दूसरी जगह से बुक कराने के लिए कहते हैं। ऐसे में मरीज को समय पर पहुंचाना जरूरी होता है। क्या करें मजबूरी का सब फायदा उठा रहे हैं।

ठेकेदार बुक करा रहे एंबुलेंस

पहले चालकों द्वारा या उनकी एंबुलेंस में लिखे नंबर पर फोन करके बुकिग की जा रही थी। परंतु प्रशासन की सख्ती के बाद से वैन चालकों द्वारा ठेकेदार के जरिए बुकिग कंफर्म होने पर ही चलने की बात कही जा रही है। हैलट, कार्डियोलॉजी, उर्सला के बाहर चालकों से मरीज या संक्रमित को ले जाने की बात कहो तो वे एक नंबर देकर बुक करने को कहते हैं। नंबर देने से पहले चालक द्वारा मरीज के कागज और संक्रमित की रिपोर्ट देखने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है।

खोजने पर भी नहीं मिल रही एंबुलेंस

दोपहर 11 बजे से एक बजे तक दक्षिण से लेकर उर्सला और हैलट में नाममात्र ही एंबुलेंस देखने को मिली। इससे पहले अस्पतालों के पीछे या फिर किसी नजदीक के मैदान में चालकों का जमावाड़ा लगा रहा। आम दिनों में हैलट, कार्डियोलॉजी और उर्सला और नौबस्ता चौराहे के पास दर्जनों की संख्या में एंबुलेंस मिल जाती थीं।

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निजी एंबुलेंस संचालक अगर मनमाना किराया मांगे तो इसकी सूचना तत्काल नोडल अधिकारी को दें। मोबाइल पर शिकायत दर्ज कराएं ताकि दोषी के विरुद्ध कार्रवाई की जा सके।

- डॉ. बसंत अग्रवाल, एडीएम आपूर्ति


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