ऑनर किलिंग : एक नाफरमानी पर बेटी को उतार दिया था मौत का घाट, तीन महीने तक छिपाए रखी लाश
प्रेमी से कोर्ट मैरिज करने के बाद युवती घर लौटकर रहस्यमय ढंग लापता हो गई थी।
कानपुर, जेएनएन। महाराजपुर में एक नाफरमानी पर बेटी को पिता और भाई ने मौत के घाट उतार दिया और तीन माह तक लाश को सीवर टैंक में छिपाए रखा। पुलिस की पड़ताल के बाद रविवार को हकीकत सामने आई तो सुनने वाले भी दंग रह गए। पुलिस ने चाचा को पहले गिरफ्तार कर लिया था और अब पिता व भाई को गिरफ्तार करके घटना का खुलासा किया है।
गांव के युवक से चल रहा था प्रेम प्रसंग
महाराजपुर के टिकरिया गांव में रहने वाले चमनलाल पाल की बेटी रीमा का गांव में रहने वाले धर्मवीर सिंह यादव से प्रेम प्रसंग चल रहा था। दोनों ही चोरी छिपे मिलते थे और शादी करके साथ जीन मरने की कसमें खा चुके थे। दोनों ने 27 नवंबर 2019 को कोर्ट मैरिज कर ली थी। इसकी जानकारी दोनों के परिजनों को नहीं थी। इसके बाद रीमा चुपचाप घर आ गई थी।
तीन माह पहले हो गई थी लापता
कोर्ट मैरिज के बाद मायके लौटी 21 वर्षीय रीमा पाल रहस्मय ढंग से लापता हो गई थी। धर्मवीर ने उसे सभी जगह तलाश किया, रीमा के पिता व भाइयों से भी पूछताछ की लेकिन पता नहीं लगा। तब उसने हत्या की आशंका जताते हुए महाराजपुर थाने में रीमा के पिता चमनलाल, चाचा चन्देलाल, भाई लवलेश व दिवेश के खिलाफ अपहरण का मुकदमा लिखाया था। पुलिस ने घटना की छानबीन शुरू की थी।
दूसरी जाति में शादी करके कटवा दी थी नाक
थाना प्रभारी राघवेंद्र सिंह ने बताया कि जांच के बाद पुलिस ने नौ जनवरी को रीमा के चाचा चंदेलाल और पांच मार्च को भाई दिवेश को जेल भेजा था। शनिवार शाम छतमरा गांव में दबिश देकर पिता चमनलाल व दूसरे भाई लवलेश को गिरफ्तार किया। दोनों ने रीमा की हत्या की बात कबूल की। आरोपितों ने कहा कि रीमा ने दूसरी जाति में शादी करके नाक कटवा दी थी। बेटी से बयान बदलने के लिए दबाव बनाया लेकिन उसने मानने से मना कर दिया। इस नाफरमानी पर 25 दिसंबर को हथौड़े से सिर पर वारकर व गला घोटकर मार दिया। शव को चकेरी स्थित औद्योगिक क्षेत्र सीवर टैंक में छिपाया था। पिता-पुत्र की निशानदेही पर पुलिस ने टैंक के अंदर बोरी में बंद सड़ा शव व हथौड़ा बरामद किया है। फॉरेंसिक जांच कराकर मुकदमे में हत्या की धारा बढ़ाई गई है।
पुलिस पर लापरवाही का आरोप
धर्मवीर ने घटना के लिए महाराजपुर के तत्कालीन थानेदार को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने बताया कि रीमा के लापता होने के बाद 28 दिसंबर को थाने में प्रार्थनापत्र दिया, लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई। एसएसपी से गुहार लगाई। तब मुकदमा दर्ज किया गया। धर्मवीर ने कहा कि अगर पुलिस प्रार्थना पत्र पर जांच शुरू कर देती तो शायद रीमा जीवित होती।