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प्रेम भरी एक मुट्ठी बच्चों की वर्ष भर की भूख मिटाने की क्षमता रखती है, जानिए कैसे

सेवा समर्पण संस्थान कानपुर में बिरसा मुंडा छात्रावास भी संचालित करता है। छात्रावास में 100 छात्रों की क्षमता है। हालांकि कोरोना के चलते इस वर्ष जरूर 65 छात्र हैं। वर्ष 1981 में बैरिस्टर नरेंद्र जीत के घर से पांच छात्रों के साथ इस छात्रावास की शुरुआत हुई थी।

By Akash DwivediEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 09:20 AM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 09:20 AM (IST)
बैरिस्टर नरेंद्र जीत के घर से पांच छात्रों के साथ इस छात्रावास की शुरुआत हुई थी

कानपुर, जेएनएन। प्रेम भरी एक मुट्ठी बच्चों की वर्ष भर की भूख मिटाने की क्षमता रखती है और इस बात को पिछले साढ़े तीन दशक से सेवा समर्पण संस्थान साबित कर रहा है। मकर संक्रांति के मौके पर जिसने जिस भाव से जितना दिया, उसे सहर्ष स्वीकार किया और उससे बिरसा मुंडा छात्रावास के 100 बच्चों के लिए वर्ष भर के भोजन की व्यवस्था होती है। प्रदेश में मौजूद 14 और छात्रावासों में किसी को जरूरत होती है तो वहां भी खिचड़ी का एकत्र दाल-चावल भेज दिया जाता है। रावतपुर गांव में रामलला रोड पर स्थित सेवा समर्पण संस्थान कानपुर में बिरसा मुंडा छात्रावास भी संचालित करता है। छात्रावास में 100 छात्रों की क्षमता है। हालांकि कोरोना के चलते इस वर्ष जरूर 65 छात्र हैं। वर्ष 1981 में बैरिस्टर नरेंद्र जीत के घर से पांच छात्रों के साथ इस छात्रावास की शुरुआत हुई थी। 

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मकर संक्रांति का छात्रावास के बच्चों के साथ खास जुड़ाव 

इसके बाद यह छात्रावास रामलला स्कूल पहुंचा और 1985 से यह रामलला रोड पर संचालित है। उसी समय से मकर संक्रांति का छात्रावास के बच्चों के साथ खास जुड़ाव है। संस्थान शिक्षा भारती के विद्यालयों और समाज के अन्य क्षेत्र के लोगों के जरिए मकर संक्राति पर खिचड़ी एकत्र करता चला आ रहा है। सेवा समर्पण संस्था के प्रांत मंत्री डॉ. रमाकांत बताते हैं कि कोई एक पाव खिचड़ी देता है तो कोई एक क्विंटल। सभी से दान प्रेम से स्वीकार किया जाता है। हर वर्ष करीब 250 क्विंटल खिचड़ी एकत्र कर लेते हैं। इसमें कानपुर में हर माह करीब 12 क्विंटल चावल, तीन क्विंटल दाल और 1.5 क्विंटल करीब आटा खर्च होता है। कानपुर बड़ा शहर है और यहां ज्यादा खिचड़ी एकत्र होती है, इसलिए प्रदेश के 14 अन्य छात्रावासों में भी यहां से खिचड़ी भेजी जाती है। उनके अनुसार इसके अलावा जब जिस चीज की जरूरत होती है तो समाज से कंबल, दरी, बर्तन आदि मांग ली जाती है।

बैंक खाते में मांगा सहयोग

सेवा समर्पण संस्थान ने दाल, चावल, चीनी आदि के लिए धनराशि बैंक में जमा कराने का भी आग्रह किया है। प्रांतीय नगरीय कार्य प्रमुख राज नारायण तिवारी के मुताबिक एक क्विंटल चावल के लिए 2,500 रुपये, एक क्विंटल दाल के लिए 10,000 रुपये, एक क्विंटल  चीनी के लिए 3,500 रुपये पंजाब नेशनल बैंक की रावतपुर शाखा में जमा कराया जा सकता है। इसकी खाता संख्या 248000100079668 है। इससे धारा 80 में आयकर से छूट मिल सकती है।


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