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आंखों में स्टेम सेल का इस्तेमाल, कानपुर के डॉक्टर का दावा- देश नहीं दुनिया की पहली सफल थेरेपी

कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कालेज में जन्मजात रतौंधी से पीड़ित उन्नाव की महिला की आंखों में स्टेम सेल का इस्तेमाल किया गया है। नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान का दावा है कि देश नहीं दुनिया में पहली बार सफल थेरेपी की गई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 12:11 PM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 12:11 PM (IST)
आंखों में स्टेम सेल का इस्तेमाल, कानपुर के डॉक्टर का दावा- देश नहीं दुनिया की पहली सफल थेरेपी
जीएसवीएम मेडिकल कालेज में स्टेम सेल थेरेपी से आंखों का इलाज।

कानपुर, जागरण संवाददाता। जीएसवीएम मेडिकल कालेज में पहली बार रतौंधी के मरीज की आंखों में स्टेम सेल (मूल कोशिकाओं) का इस्तेमाल किया गया। नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान का दावा है कि यह केस देश ही नहीं दुनिया का पहला है, क्योंकि आंख के सुप्रा कोराइडल स्पेश पर पहली बार स्टेम सेल थेरेपी से इलाज किया गया है। यह रिसर्च का हिस्सा है, इसलिए मरीज को तीन माह बाद बुलाया गया, जिसमें इस थेरेपी का प्रभाव देखा जाएगा।

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जीएसवीएम मेडिकल कालेज में प्रत्येक माह के चौथे मंगलवार रीजनरेटिव मेडिसिन की स्पेशल ओपीडी चलती है। मुंबई के स्टेम सेल विशेषज्ञ डा. बीएस राजपूत यहां अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। जन्मजात रतौंधी की बीमारी से पीडि़त उन्नाव के शुक्लागंज निवासी मरीज ने अपने ऊपर स्टेम सेल थेरेपी के लिए सहमति जताई थी। मंगलवार को यहां आए डा. बीएस राजपूत की निगरानी में सर्जरी विभाग के नए माड्यूलर आपरेशन थियेटर में प्राचार्य प्रो. संजय काला, नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान एवं एनस्थीसिया विभागाध्यक्ष प्रो. चंद्रशेखर एवं उनकी टीम ने पहले विशेष प्रकार की मशीन से मरीज के कूल्हे की हड्डी से स्टेम सेल निकाली। उसके बाद फिर उसका इंजेक्शन तैयार किया। स्टेम सेल के इंजेक्शन को विशेष प्रकार की निडिल से नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान ने आंख और ब्रेन के बीच की जगह सुप्रा कोराइडल में इंजेक्शन लगाया।

देश दुनिया में कोई केस रिपोर्ट नहीं

प्रो. परवेज खान ने बताया कि अमेरिका में आंख के द्रव यानी विट्स में स्टेम सेल का इस्तेमाल किया गया था, जो सफल नहीं रहा। उसकी वजह से विट्रस में संक्रमण हो गया था। जीएसवीएम मेडिकल कालेज में इससे पहले प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा का इंजेक्शन आंख के सुप्रा कोराइडल स्पेश पर लगाया जा चुका है। इसके बेहतर रिजल्ट मिले हैं। अब तक 300 से अधिक मरीजों पर सफल प्रयोग किया जा चुका है। इसलिए उसी जगह पर ही स्टेम सेल का भी इंजेक्शन लगाया गया है। उम्मीद है इसके बेहतर रिजल्ट मिलेंगे।

इन्हें भी दी गई स्टेम सेल थेरेपी

प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि मंगलवार को चार अलग-अलग बीमारियों से पीडि़तों को स्टेम सेल थेरेपी दी गई। उसमें चमनगंज क्षेत्र के प्रेम नगर स्थित बच्चा जो सेलेब्रल पाल्सी से पीडि़त था। उसे स्टेम सेल थेरेपी दी गई। इसके अलावा किदवई नगर स्थित जूही लाल कालोनी निवासी 35 वर्षीय महिला मास्थिनिया ग्रेविस बीमारी से पीडि़त हैं। इसमें शरीर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इस वजह से हाथ-पैर में कमजोरी व आंखों की पलकें तक नहीं उठती हैं। इस महिला के स्पाइन काड और मांसपेशियों में स्टेम सेल का इंजेक्शन लगाया गया। इसके अलावा आटिज्म की बीमारी से पीडि़त तीन वर्षीय बच्चे को भी स्टेम सेल थेरेपी दी गई है।


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