कानपुर के डॉक्टरों ने खोजा बांझपन का कारगर इलाज, जानिए क्या है पीआरपी थेरेपी
अबतक परिणाम उत्साहजनक आए, बच्चादानी कमजोर होने और गर्भ न ठहरने की समस्या पर इलाज संभव।
By AbhishekEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 03:43 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jan 2019 10:45 AM (IST)
ऋषि दीक्षित, कानपुर। कानपुर के डॉक्टरों ने बांझपन का कारगर इलाज ढूंढऩे में अहम सफलता हासिल की है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के चिकित्सकों ने शोध में पाया है कि बांझपन के इलाज में प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (पीआरपी) मददगार है। संक्रमण या हार्मोंस की कमी के कारण उन महिलाओं, जिनमें बच्चेदानी (यूट्रस) की लाइनिंग पतली होकर कमजोर हो जाती है और गर्भ नहीं ठहरता या गर्भपात हो जाता है, उनकी समस्या आसानी से दूर हो सकेगी।
बार-बार गर्भपात की रहती समस्या
अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल में बांझपन की समस्याएं लेकर बड़ी संख्या में महिलाएं आती हैं। आम शिकायत बार-बार गर्भपात की है। इसमें अधिकतर महिलाएं शादी के 10-15 साल बाद भी संतान सुख से वंचित हैं। इनकी जांच कराने पर यूट्रस की लाइनिंग अत्यधिक पतली पाई गई। लाइनिंग मोटी बनाने को दवा भी चलाई, लेकिन फायदा नहीं हुआ। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. किरन पांडेय ने इन पर पीआरपी थेरेपी करने का निर्णय लिया। पीआरपी में ग्रोथ फैक्टर और हार्मोन में सुधार की क्षमता होती है, इसलिए इसके परिणाम बहुत ही बेहतर मिले।
इस तरह काम करती पीआरपी थेरेपी
पीआरपी थेरेपी में महिलाओं के शरीर से ही ब्लड निकाला जाता है। उस ब्लड से विशेष तकनीक से प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा निकाला जाता है। उसके बाद इंजेक्शन के जरिए इन महिलाओं को 12वें और 14वें दिन दो बार पीआरपी थेरेपी दी गई। उनकी एंडोमेट्रियल लाइनिंग 6.2 से बढ़कर 6.8 हो गई। 18वें दिन दोबारा पीआरपी थेरेपी देने से मोटाई 7.4 एमएम पहुंच गई जो गर्भधारण के लिए बेहतर होती है। डॉ. किरन पांडेय के मुताबिक सालभर 100 महिलाओं पर अध्ययन किया जाना है। तीन माह में 14 महिलाओं पर थेरेपी सफल रही है। यूट्रस की मोटाई बढ़ गई। उसके बाद दवाएं चलाने से आठ महिलाएं गर्भवती भी हो गईं।
यह भी जानें
-यूट्रस की मोटाई 7 से 12 एमएम के बीच होनी चाहिए।
-पीआरपी थेरेपी से यूट्रस में अंडों की मात्रा और गर्भाशय की मोटाई बढ़ाना संभव है।
-अब तक के अध्ययन में इसकी पुष्टि हुई है।
बार-बार गर्भपात की रहती समस्या
अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल में बांझपन की समस्याएं लेकर बड़ी संख्या में महिलाएं आती हैं। आम शिकायत बार-बार गर्भपात की है। इसमें अधिकतर महिलाएं शादी के 10-15 साल बाद भी संतान सुख से वंचित हैं। इनकी जांच कराने पर यूट्रस की लाइनिंग अत्यधिक पतली पाई गई। लाइनिंग मोटी बनाने को दवा भी चलाई, लेकिन फायदा नहीं हुआ। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. किरन पांडेय ने इन पर पीआरपी थेरेपी करने का निर्णय लिया। पीआरपी में ग्रोथ फैक्टर और हार्मोन में सुधार की क्षमता होती है, इसलिए इसके परिणाम बहुत ही बेहतर मिले।
इस तरह काम करती पीआरपी थेरेपी
पीआरपी थेरेपी में महिलाओं के शरीर से ही ब्लड निकाला जाता है। उस ब्लड से विशेष तकनीक से प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा निकाला जाता है। उसके बाद इंजेक्शन के जरिए इन महिलाओं को 12वें और 14वें दिन दो बार पीआरपी थेरेपी दी गई। उनकी एंडोमेट्रियल लाइनिंग 6.2 से बढ़कर 6.8 हो गई। 18वें दिन दोबारा पीआरपी थेरेपी देने से मोटाई 7.4 एमएम पहुंच गई जो गर्भधारण के लिए बेहतर होती है। डॉ. किरन पांडेय के मुताबिक सालभर 100 महिलाओं पर अध्ययन किया जाना है। तीन माह में 14 महिलाओं पर थेरेपी सफल रही है। यूट्रस की मोटाई बढ़ गई। उसके बाद दवाएं चलाने से आठ महिलाएं गर्भवती भी हो गईं।
यह भी जानें
-यूट्रस की मोटाई 7 से 12 एमएम के बीच होनी चाहिए।
-पीआरपी थेरेपी से यूट्रस में अंडों की मात्रा और गर्भाशय की मोटाई बढ़ाना संभव है।
-अब तक के अध्ययन में इसकी पुष्टि हुई है।
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