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शासन ने वापस लिया डा. नेहा का निलंबन, जानिए- जीएसवीएम मेडिकल कालेज का पूरा मामला

जीएसवीएम मेडिकल कालेज के अस्पताल में पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट के वेंटिलेटर की खराबी को लेकर डा. ने पत्र लिखा था। यहां एक बच्चे की मौत होने के मामले में उन्हें निलंबति किया गया था लेकिन अब वह पहले की तरह काम करेंगी काम।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 24 Aug 2021 08:46 AM (IST)Updated: Tue, 24 Aug 2021 08:46 AM (IST)
शासन ने वापस लिया डा. नेहा का निलंबन, जानिए- जीएसवीएम मेडिकल कालेज का पूरा मामला
एलएलआर अस्पताल के बाल रोग विभाग का प्रकरण।

कानपुर, जेएनएन। गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कालेज (जीएसवीएम) के एलएलआर अस्पताल के पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) के वेंटिलेटर की खराबी के लिए पत्र लिखने वाली बाल रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. नेहा अग्रवाल के मामले में शासन ने उनके निलंबन का फैसला वापस ले लिया है। अब वह पहले की तरह बाल रोग विभाग में चिकित्सकीय और पठन-पाठन का काम करेंगी।

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जीएसवीएम मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में बच्चे की मौत के प्रकरण को लेकर निलंबित डा. नेहा के मामले में आखिर शासन ने विराम लगा दिया है। बाल रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर एवं पीआइसीयू की इंचार्ज डा. नेहा अग्रवाल ने वेंटिलेटर खराब होने की जानकारी देते हुए विभागाध्यक्ष को पत्र लिखा था। सभी वेंटिलेटर की मरम्मत कराने का आग्रह भी किया था। इस पर विभागाध्यक्ष प्रो. यशवंत राव ने वेंटिलेटर रुकने से बच्चे की मौत का जिक्र करते हुए प्राचार्य को पत्र लिखा था। प्रो. राव ने पत्र में सिर्फ एग्वा वेंटिलेटर के बारे में लिखा था।

इसी आधार पर डा. नेहा को शासन ने निलंबित करते हुए प्राचार्य कार्यालय से संबद्ध कर दिया था। दैनिक जागरण ने इस प्रकरण को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। डा. नेहा को फंसाए जाने एवं बच्चे की मौत न होने को भी दैनिक जागरण ने ही प्रमुखता से उठाया था। इसे शासन ने गंभीरता से लेते हुए प्राचार्य से रिपोर्ट तलब की थी। साथ ही राजकीय मेडिकल कालेज जालौन के प्राचार्य से जांच कराई। जांच रिपोर्ट में डा. नेहा को क्लीनचिट दे दी गई। उनके खिलाफ किसी प्रकार का दोष भी सिद्ध नहीं हुआ। इसके आधार पर निलंबन वापस ले लिया गया।

-बाल रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. नेहा के खिलाफ कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। शासन ने उनका निलंबन वापस ले लिया है। शासन के पत्र का इंतजार है। पत्र मिलते ही वह पहले की तरह विभाग में कार्य करेंगी। -प्रो. संजय काला, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।


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