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पूर्वजों का तर्पण करने गंगा तट पर बेटियां, अटल बिहारी वाजपेयी की पौत्री ने भी किया पिंडदान Kanpur News

गंगा किनारे घाट पर अजन्मी कन्याओं अमर शहीदों और दिवंगत देह रानियों की आत्मशांति के लिए महातर्पण का आयोजन।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 01:05 PM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 11:16 PM (IST)
पूर्वजों का तर्पण करने गंगा तट पर बेटियां, अटल बिहारी वाजपेयी की पौत्री ने भी किया पिंडदान Kanpur News
पूर्वजों का तर्पण करने गंगा तट पर बेटियां, अटल बिहारी वाजपेयी की पौत्री ने भी किया पिंडदान Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। गंगा नदी किनारे रविवार की सुबह सरसैया घाट पर युग दधीचि देहदान संस्थान के तत्वावधान में अजन्मी कन्याओं, अमर शहीदों और दिवंगत देह रानियों की आत्मशांति के लिए महा तर्पण का आयोजन किया गया। यहां पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पौत्री ने भी बाबा का पिंडदान किया। संस्था के पदाधिकारियों ने आयोजन के क्रम में कुरीतियों का का भी पिंडदान करते हुए जनता को जागरूक करने का प्रयास किया।

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महिलाओं के लिए बेहतर प्रयास

पितृ पक्ष में पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए लोग गंगा किनारे श्राद्ध कर्म कर रहे हैं। रविवार सुबह युग दधीचि देहदान संस्थान ने अलग प्रयास किया। संस्था ने गंगा किनारे सरसैया घाट पर अजन्मी कन्याओं, अमर शहीदों एवं दिवंगत देहदानियों का तर्पण एवं पिंडदान किया। यहां पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की परिवारी पौत्री नंदिता मिश्रा ने दिवंगत बाबा को पिंडदान कर श्राद्ध कर्म पूरा किया।

उन्होंने कहा कि संस्थान ने इस प्रकार का आयोजन करके महिलाओं को अधिकार दिलाने का बेहतर प्रयास किया है। उनके अलावा भाजपा जिला अध्यक्ष अनीता गुप्ता, कर्नल प्रभा अवस्थी, डॉ अलका दीक्षित, डॉ सीमा श्रीवास्तव, मनीषा महेश्वरी, पुष्प लता मिश्रा, अंबिका श्रीवास्तव आदि महिलाओं ने भी पहली बार पूर्वजों को जलदान कर तर्पण किया। इस दौरान सांसद देवेंद्र सिंह भोले और पूर्व सांसद एवं पूर्व मेयर जगत सिंह गौड़ भी मौजूद रहे।

वैदिक काल की परंपरा को पुनर्जीवित कर रही संस्था

अभियान प्रमुख मनोज सिंह ने बताया कि हर साल हजारों लाखों की संख्या में कन्या गर्भ में ही मार दी जाती हैं। संस्थान ने बेटी बचाओ की मुहिम के तहत इस आयोजन का फैसला लिया। महिलाओं के हाथों तर्पण कराकर संस्था वैदिक काल की उस विलुप्त परंपरा को पुनर्जीवित कर रही है, जिसमें महिलाओं को समस्त धार्मिक कर्मकांड करने की स्वतंत्रता थी। महिलाओं को उनका अधिकार वापस दिलाने का यह प्रयास है। हमारे धर्म ग्रंथ भी इसका समर्थन करते हैं। आयोजन में बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों ने अपने पूर्वजों को तर्पण किया।


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