कोच्चि, पोर्ट ब्लेयर के साथ कानपुर का भी नाम, मिलेगा कचरे का दाम Kanpur News
जर्मनी की टीम ने शहर आकर नगर आयुक्त के साथ बैठक में प्रोजेक्ट साझा किया।
कानपुर, जेएनएन। आम के आम, गुठलियों के भी दाम...। अब सबकुछ ठीक रहा तो शहर में घरों के कचरे के लिए यह कहावत एकदम सटीक बैठने वाली है। इस प्रोजेक्ट के लिए कोच्चि, पोर्ट ब्लेयर के साथ कानपुर का भी नाम शामिल किया गया है। जर्मन विशेषज्ञों के सहयोग से नगर निगम इसका बिजनेस मॉडल तैयार करने जा रहा है।
गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने की तैयारी
अभी तक आपके घर का कचरा ले जाने के लिए नगर निगम की एजेंसी आपसे दाम वसूलती है। सोचिए अगर वह आपका कचरा भी ले और उल्टे आपको रुपये भी दे तो कैसा रहेगा? जी हां ऐसा ही किए जाने की तैयारी चल रही है। अगर आपने कचरे से प्लास्टिक अलग करके दिया तो आने वाले दिनों में नगर निगम आपको पैसा भी देगा। इस प्रोजेक्ट से गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने की कवायद की जाएगी। इसके साथ कानपुर में बड़े पैमाने पर निकलने वाले प्लास्टिक कचरे को गंगा नदी से होते हुए समुद्र तक जाने से भी रोका जा सकेगा।
समुद्र में कचरा रोकेगा इंडो-जर्मन प्रोजेक्ट
भारत सरकार के स्तर पर एक इंडो-जर्मन प्रोजेक्ट ऐसे कचरे को समुद्र में जाने से रोकने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इसी प्रोजेक्ट के तहत भारतीय और जर्मन विशेषज्ञों का एक दल कानपुर नगर निगम पहुंचा। इसमें अंतरराष्ट्रीय एक्सपर्ट डॉ. फ्लोरिन स्किंडलर, मिशन टीम लीडर एक्स्ल बार्कमैन, जर्मन फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ इंवायरमेंट सत्यनारायन नर्रा के अलावा अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के विशेषज्ञ वैशाली नंदन, आलोकनंद नाथ, अमृतलाल बिंद आदि ने नगर आयुक्त संतोष कुमार शर्मा व अन्य अधिकारियों के साथ लंबी बैठक की।
शहर का भ्रमण करेगी जर्मन टीम
प्रोजेक्ट के तहत देश के तीन शहर कोच्चि, पोर्ट ब्लेयर और कानपुर को चुना गया है। बैठक में कानपुर में निकलने वाले कचरे को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। जर्मन टीम पूरे शहर का भ्रमण कर स्टडी करेगी कि कचरे का कैसे निस्तारण किया जा रहा है। जर्मन दल ने इस दौरान एक प्रजेंटेशन भी दिया कि किस तरह प्लास्टिक को नदी तक जाने से रोका जा सकता है। इसपर राज्य सरकार और केंद्र स्तर पर वर्कशॉप होगी, जिसके बाद नीति तय की जाएगी।
तैयार होगा बिजनेस मॉडल
नगर आयुक्त संतोष शर्मा ने कहा कि यह कानपुर के लिए अच्छा मौका है। प्लास्टिक समेत अन्य कचरा नदी में न जाए। इसके लिए एक बिजनेस मॉडल तैयार किया जाएगा। इसमें यदि लोग घर में गीला, सूखा और प्लास्टिक कचरा अलग करके देंगे तो उन्हें इसके बदले भुगतान भी किया जाएगा। अभी इस मॉडल पर विचार किया जा रहा है। हालांकि यह काम अभी स्टडी फेज में है।
समुद्र में प्लास्टिक कचरे से जी-20 चिंतित
उन्होंने बताया कि प्लास्टिक और ड्राई वेस्ट जाने से समुद्र का जलीय जीवन प्रभावित हो रहा है। इस पर जी-20 देश की सम्मिट में भी चिंता जताई गई। भारत भी जी-20 का सदस्य है। कानपुर से गंगा के जरिए प्लास्टिक वेस्ट गंगा में जाता है। इसलिए इस प्रोजेक्ट में कानपुर का विशेष महत्व है।
इस तरह से लागू होगी योजना
नगर आयुक्त ने बताया कि इस बिजनेस मॉडल को अपनाने से कूड़ा सेग्रीगेशन बढ़ेगा। इससे जो वेस्ट पैदा होगा, उससे लोगों को कुछ रकम भी मिलेगी। इसके साथ ही वेस्ट मैनेजमेंट भी बेहतर तरीके से लागू होगा। खासतौर पर प्लास्टिक वेस्ट को टारगेट करते हुए इस मॉडल को इस साल के अंत तक लागू करने की योजना पर विचार किया जा रहा हैं।