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बह गए 916 करोड़, गंगा मैली की मैली

तीन दशक से काम चल रहा है। 916 करोड़ रुपये बह गए लेकिन गंगा साफ होने की जगह और मैली होती गईं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Aug 2018 01:52 AM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 01:52 AM (IST)
बह गए 916 करोड़, गंगा मैली की मैली
बह गए 916 करोड़, गंगा मैली की मैली

जागरण संवाददाता, कानपुर : तीन दशक से काम चल रहा है। 916 करोड़ रुपये बह गए लेकिन गंगा साफ होने की जगह और मैली होती गईं। करोड़ों लीटर सीवर रोजाना गंगा में गिर रहा है। ये स्थिति तब है जब केंद्र व राज्य सरकार, न्यायालय व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी संजीदा हैं। ऐसे में पूरा सिस्टम सवालों के घेरे में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय भूतल परिवहन, जहाजरानी एवं जलसंसाधन मंत्री नितिन गडकरी गंगा की स्थिति की समीक्षा कर लें तो हकीकत पता चल जाएगी।

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अनियोजित प्लानिंग में ही छेद

सीवर लाइन पहले डाल दी गईं और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बाद में बनाए जा रहे हैं। इसमें कई जगह जमीन के विवाद में फंस गए। शहर के विस्तार के साथ ही नालों का फ्लो बढ़ता जा रहा है लेकिन अभी तक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट चालू तक नहीं हो पाए हैं, जब वह चालू होंगे, तब तक सीवर का फ्लो और बढ़ जाएगा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि सीसामऊ समेत छह नालों को 57 करोड़ रुपये से बंद किया जा रहा है। इसके बाद भी भगवतदास, सिद्धनाथ, गोलाघाट, डबका नाला समेत कई नालों से सीवर का पानी गिरता रहेगा।

खतरनाक होगी स्थिति, पुरानी लाइन पर बढ़ेगा 14 करोड़ लीटर पानी का लोड

जेएनएनयूआरएम योजना में दस साल से फूलबाग से जाजमऊ सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक नई सीवर लाइन पड़ रही है लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं हुआ है। छावनी बोर्ड ने स्वीकृति दे दी है लेकिन छह किमी. सीवर लाइन का काम 104 करोड़ रुपये न मिलने से फंसा है। ऐसे में पुरानी सीवर लाइन से पहले ही 13 करोड़ लीटर दूषित पानी जा रहा है। छह नाले बंद होने के बाद 14 करोड़ लीटर और दूषित पानी इसी पुरानी लाइन से जाएगा जिसके लोड न सह पाने और टूटने की स्थिति में फिर दूषित पानी गंगा में जाने लगेगा। इससे स्थिति और ज्यादा खराब हो जाएगी।

गंगा पर अब तक खर्च हुआ धन

सफाई शुरू हुई- 1989 में

एक्शन प्लान में खर्च हुए- 166 करोड़ रुपये

जेएनएनयूआरएम योजना में - अब तक साढ़े सात अरब रुपये खर्च हो चुके हैं।

अभी गंगा में गिर रहे नाले

सीसामऊ नाला, टैफ्को नाला, परमट नाला, जेल नाला, सरसैया घाट नाला, अवधपुरी नाला, चिड़ियाघर नाला, ज्यौरा नाला, एएनडी कॉलेज नाला, रानी घाट नाला, गुप्तार घाट नाला, भगवतदास घाट नाला, गोल्फ क्लब नाला, टपका नाला, सिद्धनाथ घाट नाला, बुढि़याघाट नाला, सरैया नाला, वाजिदपुर नाला।

यह स्थिति है सीवरेज की

रोज निकलता सीवर - 460 एमएलडी

चालू सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

0 जाजमऊ में 162 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

ट्रीट हो रहा - सौ एमएलडी

0 बिनगवां में 210 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

ट्रीट हो रहा - सिर्फ 80 एमएलडी

गंगा में गिरता सीवर- 280 एमएलडी लीटर

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यह ट्रीटमेंट प्लांट भी चालू हो

0 धनाभाव के चलते बनियापुरवा में बनने वाले 15 एमएलडी ट्रीटमेंट प्लांट का काम रुका पड़ा है।

0 आठ साल पहले बिनगवां में बना 210 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहा है। 80 एमएलडी पानी ट्रीट हो रहा है।

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निर्मलता में ये बाधक

0 अनियोजित प्लानिंग

0 योजना में पूरा पैसा न मिलना

0 जमीन का चयन ठीक से न होना

0 अभी है 154 करोड़ रुपये की दरकार

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नाले गिर रहे गंगा में, जलस्तर बढ़ने से छिपा पाप

गंगा के घाटों पर नाले गिर रहे हैं। इस कारण गंगाजल आचमन करने लायक नहीं है। बारिश में गंगा का जलस्तर बढ़ने से नाले छिप गए हैं।

बस्तियां भी बनीं मुसीबत

घाटों के पास बनी रानीघाट, भैरोघाट, सरसैया घाट, परमट घाट, सिद्धनाथ घाट, बुढि़याघाट, मैगजीन घाट, अस्पताल घाट आदि बस्तियों का दूषित पानी सीधे गंगा में गिर रहा है। इसे रोके बिना गंगा को प्रदूषित होने से बचाना मुश्किल होगा।

गंगा की गोद में अवैध निर्माण

गंगा की गोद में मकान बनते जा रहे हैं। अवैध बस्तियां बन गई हैं। रानी घाट व भैरोघाट पंपिंग स्टेशन के पास भी लगे बालू के ढेर में पक्के निर्माण होते जा रहे हैं। घरों की गंदगी सीधे गंगा में डाली जा रही है।


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