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कोरोना के बाद फेफड़े गला रहा फंगस, विशेषज्ञों की जांच में सामने आया ये सच

पहले जहां आंख नाक व ब्रेन में ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस के संक्रमण के केस तेजी से बढ़े। वहीं अब फेफड़े कमजोर होने से उनके टिश्यू एवं सेल्स में एस्परजिलोसिस फंगस के संक्रमण से कैविटी (मवाद) पड़ रहा है।

By Akash DwivediEdited By: Published: Wed, 07 Jul 2021 11:10 AM (IST)Updated: Wed, 07 Jul 2021 01:26 PM (IST)
कोरोना के बाद फेफड़े गला रहा फंगस, विशेषज्ञों की जांच में सामने आया ये सच
सर्वोदय नगर स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराए गए

ऋषि दीक्षित (कानपुर)। अस्पताल में कई दिनों तक भर्ती रहकर कोरोना को मात देने वाले मरीजों की पोस्ट कोविड जटिलताएं लगातार बढ़ रहीं हैं। पहले जहां आंख, नाक व ब्रेन में ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस के संक्रमण के केस तेजी से बढ़े। वहीं, अब फेफड़े कमजोर होने से उनके टिश्यू एवं सेल्स में एस्परजिलोसिस फंगस के संक्रमण से कैविटी (मवाद) पड़ रहा है। इससे मरीजों के फेफड़े में बड़ा सा छेद हो जाता है तो कई का आधे से अधिक फेफड़ा ही गल जाता है, जो जानलेवा बन जाता है। ऐसा कम प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी), मधुमेह, लिवर, किडनी और हार्ट के मरीजों में ज्यादा हो रहा है।

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  • केस-एक : स्वरूप नगर निवासी 56 वर्षीय व्यक्ति कोरोना संक्रमित होने पर कई दिनों तक कोविड आइसीयू में भर्ती रहे। ठीक होने के एक माह बाद उन्हेंं फिर से दिक्कत हुई। उनका शरीर गुब्बारे की तरह फूलने लगा। सर्वोदय नगर स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराए गए, जहां कई दिन इलाज चला लेकिन फेफड़े गलने से उन्हेंं बचाया नहीं जा सका।
  • केस-दो : किदवई नगर निवासी 45 वर्षीय युवक कोरोना पीडि़त होकर कई दिन अस्पताल में वेंटिलेटर पर भी रहे। स्वस्थ होकर घर आने के कुछ दिन बाद ही उनका उठने-बैठने में दम फूलने लगा। दो सप्ताह बाद से खांसी आने लगी। बलगम के साथ खून आने पर डाक्टर को दिखाया। जांच में फेफड़े में छेद का पता चला।

कैबिटेटिक निमोनिया से गंभीर होते हालात : कई बार कैविटी की वजह से बैक्टीरियल इंफेक्शन हो जाता है, जिससे कैबिटेटिक निमोनिया होने लगता है। इससे फेफड़े गलने लगते हैं और स्थिति गंभीर हो जाती है।

यह स्थिति और भी घातक : फंगल इंफेक्शन की वजह से फेफड़े में बड़ा छेद बनने से कई टिश्यू एवं कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने से लंग्स में लीकेज होता है, जिससे पूरे शरीर में हवा भर जाती है और शरीर गुब्बारे की तरह फूल जाता है। इस स्थिति को न्यूमो थोरेक्स (फेफड़े में हवा भरना) कहा जाता है। इसमें मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है।

यह हैं लक्षण : कोरोना से उबरने के बाद खांसने में खून आना, सांस फूलना, काला या पीला बलगम आना, शरीर फूलने लगना और अचानक से आक्सीजन सेचुरेशन गिरने लगना।

इनका ये है कहना

  • कोरोना से उबरने के बाद दोबारा भर्ती हुए मरीजों में फेफड़े क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। ऐसे मरीजों के इलाज में सावधानी और लगातार निगरानी जरूरी है। स्टेरायड और वेंटिलेटर पर भी एहतियात से रखा जाए। जरा सी चूक में फेफड़े पूरी तरह फट जाते हैं। ऐसे पीडि़तों की जान बचाना चुनौती से कम नहीं है। अब तक 12 से अधिक मरीज आ चुके हैं। - डा. एके सिंह, सीनियर पल्मोनोलाजिस्ट एवं क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट।  

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