FSSAI News: खाद्य सामग्री का कारोबार करने वालों के लिए काम की है यह खबर, पाएं लाइसेंस से जुड़ी हर जानकारी
अमानकीकृत खाद्य सामग्री के लाइसेंस शहर में बनना बंद हुए। दिल्ली में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण में बनेंगे। 10 हजार से ज्यादा व्यापारियों के सामने व्यवहारिक दिक्कतें। 100 रुपये लाइसेंस शुल्क देने वालों को भी अब 7500 देने होंगे।
कानपुर, जेएनएन। शहर में दालमोठ, मिठाई, कचरी, पापड़, सिंवई बनाने वाले कारोबारी लाइसेंस के नवीनीकरण और नए लाइसेंस के लिए परेशान हैं, लेकिन उनके लाइसेंस अब शहर में नहीं दिल्ली में बनेंगे। हालांकि लाइसेंस की यह प्रक्रिया आॅनलाइन है लेकिन इसकी कागजों की कमियां दूर करने के लिए उन्हें बार-बार किसी कंप्यूटर आॅपरेटर के चक्कर लगाने पड़ेंगे। इसके बाद कुछ एेसी भी कमियां हो सकती हैं जिन्हें पूरा करने के लिए उन्हें दिल्ली भी जाना पड़ सकता है। इसके अलावा जो कारोबारी रोज सौ किलो से कम का उत्पादन करते हैं या जिनका वार्षिक कारोबार 12 लाख से नीचे है उन्हें पहले 100 रुपये लाइसेंस शुल्क देना होता था, लेकिन अब यह शुल्क 7,500 रुपये होगा।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, दिल्ली में बनेंगे लाइसेंस
अभी तक मानकीकृत व अमानकीकृत खाद्य सामग्री में दो टन से ज्यादा का निर्माण रोज करने वाली कंपनी का लाइसेंस दिल्ली में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण में बनता था। बाकी सभी का लाइसेंस राज्य के अधीन था और जिले में बन जाता था लेकिन अब एक नवंबर से किसी भी स्तर पर अमानकीकृत खाद्य सामग्री का लाइसेंस भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने अपने हाथों में ले लिया है। 31 अक्टूबर तक जिनके लाइसेंस खत्म हो गए थे, वे त्योहार के चक्कर में नवंबर के पहले ध्यान ही नहीं दे पाए लेकिन अब जब वे लाइसेंस बनवाने अभिहीत अधिकारी के पास पहुंचे तो पता चला कि उनके लाइसेंस दिल्ली में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण में बनेंगे।
बदल जाएगा लाइसेंस का शुल्क
ये लाइसेंस एक वर्ष से पांच वर्ष तक के लिए बनते हैं। जितने वर्ष का लाइसेंस बनता है, उतने वर्ष का शुल्क लग जाता है। 12 लाख रुपए तक के वार्षिक कारोबार वाले व्यापारी को 100 रुपये वार्षिक शुल्क देना पड़ता था। 12 लाख रुपये से अधिक वार्षिक कारोबारी व रोज एक टन निर्माण पर 3,000 रुपये का वार्षिक शुल्क लगता था। 12 लाख रुपये से अधिक व रोज दो टन उत्पादन में 5,000 रुपये वार्षिक शुल्क लगता था। अभी सभी की फीस 7,500 रुपये होगी।
किसे कहते हैं अमानकीकृत
वे खाद्य वस्तुएं दो या कई चीज से मिलकर बनती हैं लेकिन कौन सी चीज कितनी मिलाई जाएगी, उसका कोई मानक नहीं होता। इसमें दालमोठ, मिठाई, चिप्स, पापड़, कचरी, सिंवई आती हैं।
जिनका समय बाकी, वे जून तक लाइसेंस बदलेंगे
बहुत से कारोबारियों के लाइसेंस का समय अभी बाकी है। एेसे कारोबारियों को जून 2021 तक का समय दिया गया है कि वे स्थानीय स्तर पर बने लाइसेंस को दिल्ली के लाइसेंस से बदलवा लें।
इनकी भी सुनिए
छोटे कारोबारियों को जरा-जरा सी समस्या के लिए दिल्ली भागना पड़ेगा। इतना तो समय भी कारोबार से नहीं निकाल पाते। - अनुराग साहू, नमकीन निर्माता, केनाल रोड।
जब शहर में ही यह सुविधा मौजूद थी तो इसे दिल्ली में कराने की क्या जरूरत थी। इससे कारोबारी सिर्फ परेशान ही हो रहे हैं। - हीरा मनवानी, कचरी निर्माता, अफीम कोठी।
जिनका वार्षिक कारोबारी 12 लाख रुपये था, उनका लाइसेंस शुल्क तो 75 गुना बढ़ा दिया गया है। उनके खर्च बहुत बढ़ जाएंगे। - जितेंद्र सिंह, मिठाई विक्रेता, सतबरी रोड।
सिंगल विंडो व ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देते हुए अमानकीकृत खाद्य पदार्थ के नए लाइसेंस बनाने की पुरानी व्यवस्था हो। - ज्ञानेश मिश्रा, प्रदेश अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश खाद्य पदार्थ व्यापार मंडल।
व्यापारियों को व्यावहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसे जैसे पहले था वैसे ही रहने दिया जाए ताकि लोगों को लाभ हो। - वीपी सिंह, जिला अभिहीत अधिकारी।