आजादी की 72वीं वर्षगाठ की सुबह 106 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मान सिंह ने ली अंतिम सांस
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मानसिंह वर्ष 1939 से 41 तक जेल में बंद रहे और भारत छोड़ो आदोलन में सक्रिय रहे थे।
जेएनएन, कानपुर : नगर के घाटमपुर क्षेत्र में स्वतंत्रता दिवस पर 106 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मान सिंह ने अंतिम सास ले ली। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि देश की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाले मान सिंह ने आखिरी सास भी देश की आजादी की 72वीं वर्षगाठ की सुबह देखने के बाद ली।
कस्बा भीतरगाव के निवासी मानसिंह क्षेत्र के गाव बिरसिंहपुर निवासी आजादी के योद्धा और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रहे पंडित बेनी सिंह अवस्थी के सहयोगी थे। देश की आज़ादी के आदोलन में वह उनके साथ कई वर्ष जेल में रहे थे। इसके चलते उन्हें केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से सेनानी पेंशन प्राप्त होती थी। शतायु हो चुके सेनानी मान सिंह कई वर्ष से बीमार थे और उन्हें सुनाई भी कम देने लगा था। बावजूद इसके देश की आज़ादी की चर्चा शुरू होते ही वह चैतन्य होकर बैठ जाते और उस दौर के हालात बया करने लगते। मानसिंह के तीन पुत्र थे, जिसमें मंझले पुत्र कृष्ण कुमार की कुछ वर्ष पूर्व मृत्यु हो चुकी है। पुत्र शमसेर व धर्मपाल के परिवार के साथ वह गाव में ही रहते थे। शमसेर सिंह ने बताया कि पिता ने बुधवार सुबह करीब 9 बजे घर में अंतिम सास ली।
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आजादी के लिए आदोलन में लगातार 2 वर्ष काटी थी जेल
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मानसिंह वर्ष 1939 से 41 तक जेल में बंद रहे और भारत छोड़ो आदोलन के शुरू होने से पहले वह छूटे थे। 2 वर्ष की यातना के बाद भी मानसिंह टूटे नहीं थे और साथी बेनी सिंह अवस्थी के साथ वह दोबारा आदोलन में कूद पड़े थे। देश आजाद होने के बाद मानसिंह सरकारी सुविधाएं लेने से भी परहेज करते थे।