जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की पहल, कानपुर में शुगर पेशेंट को मिल रही मुफ्त इंसुलिन
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्रशासन की मांग पर एनएचएम ने 1.84 करोड़ रुपये जारी किए हैं। अब हैलट अस्पताल में उन मधुमेह मरीजों को निश्शुल्क इंसुलिन दी जाएगी जो आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से पेन एवं कार्टेज नहीं खरीद पा रहे हैं।
कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में आने वाले मधुमेह मरीजों को अब निश्शुल्क इंसुलिन उपलब्ध कराई जाएगी। मेडिकल कॉलेज प्रशासन की पहल पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने इसके लिए 1.84 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए हैं। इसी राशि से अस्पताल प्रशासन मरीजों को इंसुलिन पेन एवं कार्टेज मुहैया कराएगा।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की उप प्राचार्य प्रो. रिचा गिरि एवं एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. शिवेंद्र वर्मा (जो अब इस्तीफा देकर जा चुके हैं) ने मरीजों के लिए मधुमेह क्लीनिक शुरू की थी। यहां बड़ी संख्या में ऐसे मरीज आते थे जो आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से इंसुलिन नहीं खरीद पाते थे। इस समस्या को देखते हुए उन्होंने 7 नवंबर 2019 को प्रस्ताव बनाकर तत्कालीन प्राचार्य प्रो. आरती लाल चंदानी के माध्यम से एनएचएम को भेजा था। शासन ने प्रस्ताव को स्वीकृत करते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ), सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा एवं एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा के लिए एनएचएम के माध्यम से धनराशि जारी की है। इस राशि को जिला स्वास्थ्य समिति के माध्यम से खर्च किया जाएगा।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. आरबी कमल ने बताया कि कॉलेज के लिए 1,84,52,260 रुपये इंसुलिन की अलग डोज के लिए जारी किए गए हैं। इसमें छह हजार फ्लेक्स पेन तीन एमएल, पांच हजार पेनफिल तीन एमएल, पांच हजार फ्लेक्स पेन तीन एमएल मिलेंगे। इनकी अलग-अलग डोज होगी। इन पेन के जरिए मधुमेह पीडि़त दर्द रहित इंसुलिन आसानी से ले सकेंगे। मरीजों को पेन में लगाने के लिए इंसुलिन की कार्टेज निश्शुल्क मिलेगी।
बाजार में यह है कीमत
मेडिकल स्टोर में अलग-अलग कंपनियों के इंसुलिन पेन की कीमत 1000 से 1500 रुपये है। इंसुलिन की एक कार्टेज बाजार में 400 से 800 रुपये में मिलती है। मेडिकल कॉलेज में एनएचएम के तहत इंसुलिन और फ्लेक्स पेन निश्शुल्क मुहैया कराया जाएगा।
इंसुलिन का फायदा
इंसुलिन लेने से मधुमेह रोगियों के दिल, किडनी और नसों की कोशिकाएं प्रभावित नहीं होती हैं।
इंसुलिन के लिए कराएं पंजीकरण
टाइप टू डायबिटीज पीडि़त अपना पंजीकरण हैलट के मेडिसिन विभाग में करा सकते हैं। टाइप वन डायबिटीज पीडि़त बच्चे अपना पंजीकरण बाल रोग विभाग में करा सकते हैं। उन्हें निश्शुल्क इंसुलिन मुहैया कराई जाएगी।
- अस्पताल में अनियंत्रित मधुमेह के ही मरीज आते हैं। जो महंगी इंसुलिन नहीं खरीद पाते हैं। मधुमेह की वजह से किडनी, हार्ट और हाथ-पैर में झनझनाहट रहती है। इंसुलिन लेने से पैंक्रियाज की बीटा सेल सुरक्षित रहती हैं। - प्रो. रिचा गिरि, उप प्राचार्य एवं विभागाध्यक्ष, मेडिसिन, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।