संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार में कानपुर का दबदबा, जानें-अपनी उपलब्धि पर क्या बोले कलाकार
शहर के चार कलाकारों को 13 फरवरी को लखनऊ में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
कानपुर, जेएनएन। कानपुर की कला प्रतिभाओं का सरकार सम्मान करने जा रही है। इसमें नौटंकी जैसी विलुप्तप्राय कला के दो कलाकारों के साथ ही अवधी व भोजपुरी के भी दो कलाकार हैं, जिन्हें 13 फरवरी को लखनऊ में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इन कलाकारों में नौटंकी की प्रख्यात कलाकार पद्मश्री गुलाबबाई की पुत्री मधु अग्रवाल भी शामिल हैं। अवधी के लोक गायक लक्ष्मीशंकर शुक्ला, भोजपुरी के लोकगायक रामचंद्र दुबे के अलावा गुलाबबाई के साथ नौटंकी में काम करने वाली कमलेश लता को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है।
नौटंकी की कला जीवित रहनी चाहिए
प्रख्यात नौटंकी कलाकार पद्मश्री स्वर्गीय गुलाबबाई की पुत्री मधु अग्रवाल ने अपनी मां की विरासत संभाली है। 13 जुलाई 1996 को मां के निधन के बाद उनके द्वारा स्थापित दि ग्रेट गुलाब थिएट्रिकल कंपनी का संचालन उन्होंने ही संभाला। वे 1981 से ही अपनी मां के साथ मंच साझा करने लगी थीं।
1996 में आइसीसीआर नई दिल्ली की ओर से पांचवीं विश्व हिंदी कांफ्रेंस जो वेस्टइंडीज में हुई थी, वहां उन्होंने अपनी नौटंकी ग्रुप का निर्देशन व मंचन किया। सरकार की ओर से मिलने वाले इस सम्मान पर खुशी जताते हुए वे कहती हैं कि नौटंकी लुप्त हो रही है, इस कला को जिंदा रखने की जरूरत है।
दस साल की उम्र से नौटंकी में किया काम
नौटंकी की कलाकार कमलेश लता इन दिनों अपनी बेटी के साथ बगाही में रहती हैं। वे बताती हैं कि उन्होंने दस वर्ष की उम्र से ही नौटंकी में काम करना शुरू कर दिया था। पहली नौटंकी बिहार के जमालपुर में की थीं जिसमें उन्होंने राजा हरिश्चंद्र के बेटे रोहिताश्व की भूमिका निभाई थी। देश के विभिन्न कोनों में नौटंकी की कला का प्रदर्शन करने के अलावा वे गुलाबबाई के साथ वेस्टइंडीज भी गई थीं। उन्हें इस दौरान अनेक पुरस्कार मिले, लेकिन राज्य सरकार से इस तरह का पुरस्कार मिलने की घोषणा से वे बेहद खुश हैं।
यह अवधी का सम्मान है
मूल रूप से फतेहपुर के बिंदकी क्षेत्र में खजुआ गांव के निवासी लक्ष्मीशंकर शुक्ला अवधी गायन के लिए जाने जाते हैं। फिलहाल वे कानपुर में ही बस चुके हैं और केशवपुरम के जे सेक्टर में रहते हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने अवधी में अनेक कार्यक्रम आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए किए। इसके अलावा मुंबई में भी उन्होंने कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। जिसमें फिल्मी हस्तियां भी शामिल हुई थीं। दिल्ली समेत कई प्रांतों में उनका गायन हो चुका है। कई पुरस्कार भी मिले हैं, लेकिन सरकार ने अब तक कोई पुरस्कार नहीं दिया था। यह अवधी का सम्मान हो रहा है।
बनारस घराने से ताल्लुक रखते हैं पंडित रामचंद्र
कौशलपुरी में रहने वाले आचार्य रामचंद्र दुबे बनारस घराने से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने भोजपुरी लोकगीतों का गायन वर्ष 1971 से शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने सफलता की ऊंचाइयां छुई। कई फिल्मों में भी उन्होंने अपनी कला दिखाई और संस्कृति के मंचों पर भी प्रस्तुति दी। संस्कार, वियोग, श्रृंगार, जन्म व पर्व से जुड़े लोकगीतों को भोजपुरी रंग देने के लिए उन्हें कई अलंकरणों से विभूषित किया जा चुका है।
देश ही नहीं विदेशों में भी उन्हें कई सम्मान मिले हैं। पंडित रामचंद्र को मॉरीशस के उच्चायुक्त ने भोजपुरी विभूति सम्मान दिया है। इसके अलावा मानस चंचरीक, भिखारी ठाकुर सम्मान और गुलशन कुमार के हाथों उन्हें भोजपुरी रत्न का पुरस्कार भी मिला है। सरकार की ओर से मिल रहे पुरस्कार से वे खुश हैं और कहते हैं कि लोककला को सहेजना जरूरी है।