कानपुर में फूल की खेती को लगा साप्ताहिक बंदी का ग्रहण, संक्रमण वृद्धि के बाद मांग में आई गिरावट
शहर की थोक बाजार से झांसी उरई जौनपुर सुल्तानपुर सहित अन्य जिलों में फूल जाता है। इसकी भी डिमांड कम हो गई है। वहीं मेहरबान सिंह पुरवा के किसान बाबूराम ने अक्टूबर में गेंदा के फूल की खेती की थी।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना कर्फ्यू में सरकार ने शादी समारोह के नियमों के प्रति एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। नए नियमों के आदेश के बाद शहर की फूल बाजार में फूलों की मांग कम हो गई है। इस वजह से हर रोज कई बंडल फूलों की बर्बादी हो रही है। इसके साथ ही कई किसानों की खेत में लगे फूल सूख गए हैं।
जनकल्याण फूल मंडी उत्पादक समिति के अध्यक्ष राजेश सैनी ने बताया कि शादी समारोह में अब पहले की अपेक्षा बहुत कम फूल जा रहा है। उन्होंने बताया कि हर रोज 150 से 200 बंडल में कई क्विंटल फूल बर्बाद हो रहा है। महामंत्री बउवा सैनी ने बताया कि नौबस्ता और शिवाला फूल मंडी में पुणे, नासिक, दिल्ली, कलकत्ता सहित अन्य प्रदेशों से करीब 25000 क्विंटल फूल आता है। कोरोना कर्फ्यू में बाहर के किसानों से फूल ना भेजने के लिए आग्रह किया तो वह भविष्य में फूल ना देने की बात कही तो शहर के फूल व्यापारी नियमित अन्य प्रदेशों के किसानों से फूल लेने को मजबूर हैं। बउवा ने बताया कि शहर की थोक बाजार से झांसी, उरई, जौनपुर, सुल्तानपुर सहित अन्य जिलों में फूल जाता है। इसकी भी डिमांड कम हो गई है। वहीं, मेहरबान सिंह पुरवा के किसान बाबूराम ने अक्टूबर में गेंदा के फूल की खेती की थी। जब इनके कटने का नंबर आया तो बाजार में डिमांड कम हो गई। इस वजह से वह फूल लगे ही सूख गए। बाबूलाल ने बताया कि पिछले लॉकडाउन में भी फूल बर्बाद हो गए थे। इसी तरह पतरसा में भी किसान राम कुमार के खेत में लगे फूल सूख गए।