CSJMU से संबद्ध काॅलेजों में एलएलबी की पांच हजार सीटें खाली, शिक्षकों का वेतन फंसा
कानपुर में विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में 31 दिसंबर से एलएलबी में प्रवेश प्रक्रिया खत्म होने के बाद संचालकों की चिंता बढ़ गई है। उन्हें सीटें न भरने से शिक्षकों का वेतन देना भी मुश्किल हो रहा है।
कानपुर, जेएनएन। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय से जुड़े विधि महाविद्यालयों में एलएलबी तीन वर्षीय व बीए एलएलबी पांच वर्षीय कोर्स की 50 फीसद सीटें खाली हैं। विश्वविद्यालय से करीब 70 विधि महाविद्यालय जुड़े हुए हैं, जिनमें दस हजार सीटें हैं। इसमें से करीब पांच हजार सीटें खाली पड़ी हुई हैं। पिछले वर्ष 30 नवंबर तक एलएलबी की ज्यादातर सीटें भर गई थीं जबकि कोरोना के कारण वर्ष 2020 में अधिक प्रवेश नहीं हो सके। अब प्रवेश प्रक्रिया समाप्त कर दी गई है।
काॅलेजों में प्रवेश का सिलसिला इस वर्ष देर से शुरू हुआ। एलएलबी में दाखिले के लिए छात्रों को और भी कम समय मिला। बार काउंसिल आॅफ इंडिया से सभी काॅलेजों को मान्यता मिलने के बाद ही प्रवेश प्रारंभ किए गए। ऐसे में सहायता प्राप्त विधि महाविद्यालय भी छात्रों की प्रतीक्षा करते रहे। स्ववित्तपोषित विधि महाविद्यालयों की हालत तो और भी खराब रही।
कई काॅलेजों में तो 10 से 20 फीसद सीटें ही भर सकीं। पहले ही कोरोना के कारण काॅलेज भारी नुकसान से जूझ रहे हैं उस पर सीटें न भरने से शिक्षकों का वेतन देना भी मुश्किल हो रहा है। उत्तर प्रदेश विधि महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण एलएलबी की सीटें नहीं भर पाई हैं। एलएलबी में प्रवेश का समय बढ़ाए जाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से वार्ता की जाएगी।
प्रवेश के लिए होती थी मारामारी
एलएलबी व इंटीग्रेटेड एलएलबी की सीटों पर पिछले वर्ष तक दाखिले के लिए जबरदस्त मारामारी होती थी। इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कई छात्र छात्राएं प्रवेश नहीं ले सके। प्रवेश प्रक्रिया के लिए शहर आना जाना उनके लिए मुश्किल रहा। जब स्थिति कुछ सामान्य हुईं तब प्रवेश के लिए आवेदन करने शुरू किए। उन्हें पिछले वर्ष की अपेक्षा बहुत कम समय मिला जिसके चलते सीटें खाली रह गईं।
- बीए, बीएससी, बीकाॅम की तरह प्रोफेशनल कोर्स की प्रवेश प्रक्रिया भी समाप्त हो चुकी है। अब पढ़ाई शुरू हो चुकी है। ऐसे में तारीख बढ़ाए जाने पर फिलहाल विचार नहीं किया जा रहा है। -डाॅ. अनिल कुमार यादव, कुलसचिव सीएसजेएमयू