महोत्सव : गौरवमयी अतीत का 'गुरूर', गदगद हुआ बिठूर
पांच दिवसीय बिठूर महोत्सव में रंगारंग कार्यक्रमों के साथ क्रांतिधरा पर सजा धर्म, कला, संस्कृति और पहचान का मेला शुरू।
कानपुर, जेएनएन। मैं गुरूर हूं, हां मैं बिठूर हूं...! कानों में गूंजती यह आवाज बेशक एक चलचित्र की ध्वनि थी, लेकिन इसका वास्तविक अहसास वाकई बिठूर का जर्रा-जर्रा कर रहा था। महोत्सव का मंच जहां सजा था, वह धरती गवाह है 1857 की क्रांति के बलिदानियों की। ब्रह्मावर्त घाट से जुड़ी मान्यता गौरवान्वित करती है कि यहीं से ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की। झिलमिलाते दीपों से गंगा आरती देख सभी गदगद हो उठे। इस तरह पांच दिवसीय बिठूर गंगा महोत्सव का शुभारंभ हुआ।
महत्ता का अहसास का कराएगा महोत्सव
उद्घाटन समारोह की मुख्य अतिथि महापौर प्रमिला पांडेय थीं। ऐतिहासिक-पौराणिक प्रसंगों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह महोत्सव बिठूर की महत्ता का भी अहसास कराएगा। मंडलायुक्त सुभाष चंद्र शर्मा ने कहा कि महोत्सव में मंचीय कार्यक्रमों के अलावा मंडलीय सरस मेला और ओडीओपी उत्पादों की गैलरी में समाज के विभिन्न रंग देखने को मिलेंगे। मंच पर जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत, मुख्य विकास अधिकारी अक्षय त्रिपाठी, एडीएम सिटी विवेक श्रीवास्तव, ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट प्रेरणा सिंह और शशांक चौधरी भी थे।
कब्जामुक्त हो पेशवा का किला
विशिष्ट अतिथि नगर पंचायत बिठूर की अध्यक्ष डॉ. निर्मला सिंह ने कहा कि असली धरोहर तो नानाराव पेशवा का किला है, जो कब्जे में है। मुझे टीस है कि शासन-प्रशासन को कई बार लिखित में देने के बाद भी इसे कब्जामुक्त नहीं कराया गया।
भव्य गंगा आरती से झिलमिलाया पत्थर घाट
उद्घाटन समारोह के बाद सभी आयोजन समिति पदाधिकारी और सभी अतिथि पत्थर घाट पहुंचे। वहां काशी की तर्ज पर विशेष गंगा आरती की गई। घाट की सीढिय़ों पर कतार से दीप सजाए गए थे। आरती में एडीजी अविनाश चंद्र और आइजी आलोक सिंह भी सपत्नीक शामिल हुए।
शाम को पहुंचे मंत्री पचौरी
महोत्सव का उद्घाटन लघु उद्योग मंत्री सत्यदेव पचौरी को करना था, लेकिन वह व्यवस्तता के चलते शाम को सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के समय पहुंच सके। उनके साथ क्षेत्रीय विधायक अभिजीत सांगा भी थे।
इन प्रस्तुतियों ने मोहा मन
-कटरी शंकरपुर सराय पूर्व माध्यमिक विद्यालय के बच्चों ने शिक्षक अब्दुल कुद्दूस के निर्देशन में ऋषि-मुनियों का वेश धारण कर गंगा की महिमा का बखान किया।
-कथक नृत्यांगना वंदना देबरॉय ने अपनी टीम में शामिल राज किरवरिया, अश्लेसा मिश्रा, इशिता अग्रवाल, पबोनी चटर्जी, विदुषी बाजपेयी और अमिषा अवस्थी के साथ 'देव दर्शनÓ नृत्य प्रस्तुत किया।
-अनुकृति रंगमंडल ने लघु नाटक गिरगिट का मंचन किया। निर्देशन डॉ. ओमेंद्र कुमार का था, भूमिकाएं पारस अवस्थी, स्वयं कुमार, हिमांशु कटारिया, सम्राट यादव, धीरेंद्र गौतम, कमल गौतम, जौली घोष, आरती शुक्ला, आकाश सिंह आदि ने निभाईं।
-शहर की उभरती गायिका गुंताश कौर ने 'जिया जिया रे जिया...Ó सहित कई गीत सुनाए। इसके बाद कॉमेडी नाइट भी हुई।