हार्ट अटैक में पहले पांच-सात मिनट महत्वपूर्ण, बचा सकते हैं जान
एलएलआर ओपीडी सभागार में हुई एनस्थेसिया की सीपीआर कार्यशाला में बोलीं प्राचार्य
By Edited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 01:51 AM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 10:56 AM (IST)
कानपुर(जागरण संवाददाता)। सर्दी शुरू हो गई हैं। मार्निग वाक पर जाने वालों में हार्ट अटैक के मामले बढ़ जाएंगे। वहां डॉक्टर नहीं होते हैं, ऐसे में आमजन का रोल बढ़ जाता है। पहले 5-7 मिनट महत्वपूर्ण होते हैं। उन्हें कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन (सीपीआर) देते हुए अस्पताल पहुंचाकर जान बचा सकते हैं। यह बात सोमवार को एलएलआर अस्पताल के ओपीडी सभागार में हुई एनस्थेसिया विभाग की सीपीआर कार्यशाला में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. आरती लालचंदानी ने कहीं।
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति के लिए सीपीआर की ट्रेनिंग जरूरी है। इससे जरूरतमंद की मदद कर समय से अस्पताल पहुंचाया जा सकता है। वहीं एनस्थेसिया के विभागाध्यक्ष डॉ. अपूर्व अग्रवाल ने कहाकि देश में सीपीआर को लेकर अभी जागरूकता नहीं है। अमेरिका में प्रति एक लाख व्यक्ति में 80-160 को ही सीपीआर की जरूरत पड़ी है। अपने देश में प्रति एक लाख में 4000-5000 को जरूरत पड़ती है। इस आंकड़े को घटाकर एक हजार तक लाना है।
कानपुर एनस्थेटिक सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. एसएम शुक्ला ने कहा कि इसके लिए स्कूल-कालेजों के छात्र-छात्राओं, अस्पताल एवं नर्सिग होम के पैरामेडिकल स्टॉफ को प्रशिक्षित किया जाएगा। कार्यशाला में पुलिस, छात्र-छात्राओं एवं पैरामेडिकल स्टॉफ को सीपीआर की ट्रेनिंग दी गई। इस दौरान प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरके मौर्या, डॉ. जीडी यादव, आर्थोपेडिक के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय कुमार, डॉ. प्रेम सिंह, डॉ. शैली अग्रवाल, डॉ. वीना अरोड़ा व डॉ. चित्रा थीं।
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति के लिए सीपीआर की ट्रेनिंग जरूरी है। इससे जरूरतमंद की मदद कर समय से अस्पताल पहुंचाया जा सकता है। वहीं एनस्थेसिया के विभागाध्यक्ष डॉ. अपूर्व अग्रवाल ने कहाकि देश में सीपीआर को लेकर अभी जागरूकता नहीं है। अमेरिका में प्रति एक लाख व्यक्ति में 80-160 को ही सीपीआर की जरूरत पड़ी है। अपने देश में प्रति एक लाख में 4000-5000 को जरूरत पड़ती है। इस आंकड़े को घटाकर एक हजार तक लाना है।
कानपुर एनस्थेटिक सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. एसएम शुक्ला ने कहा कि इसके लिए स्कूल-कालेजों के छात्र-छात्राओं, अस्पताल एवं नर्सिग होम के पैरामेडिकल स्टॉफ को प्रशिक्षित किया जाएगा। कार्यशाला में पुलिस, छात्र-छात्राओं एवं पैरामेडिकल स्टॉफ को सीपीआर की ट्रेनिंग दी गई। इस दौरान प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरके मौर्या, डॉ. जीडी यादव, आर्थोपेडिक के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय कुमार, डॉ. प्रेम सिंह, डॉ. शैली अग्रवाल, डॉ. वीना अरोड़ा व डॉ. चित्रा थीं।
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