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दबाव से लड़ना सिखाएगा 'लव यू जिंदगी'

आइपीएस एसके दास और राजेश साहनी के आत्महत्या के मामलों ने सिर्फ सवालों ही नहीं, चिंताओं को भी जन्म दिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 01:53 AM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 02:57 AM (IST)
दबाव से लड़ना सिखाएगा 'लव यू जिंदगी'
दबाव से लड़ना सिखाएगा 'लव यू जिंदगी'

राजीव सक्सेना, कानपुर : आइपीएस एसके दास और राजेश साहनी के आत्महत्या के मामलों ने सिर्फ सवालों ही नहीं, चिंताओं को भी जन्म दिया है। पारिवारिक वजहों व आफिस के कार्यो के दबाव से टूटकर जिंदगी से मुंह मोड़ लेने के इन मामलों ने वाणिज्य कर विभाग को भी झकझोर दिया है। अपने अधिकारियों की मनोदशा को लेकर वाणिज्य कर विभाग अब चिंतित है। दरअसल, जीएसटी लागू होने के बाद विभागीय अधिकारी जबरदस्त दबाव में हैं। दबाव में कोई गलत कदम उठाने से बचाने के लिए कानपुर के कुछ अधिकारियों ने 'लव यू जिंदगी' नाम का प्रोजेक्ट तैयार किया है। इसमें अधिकारियों और कर्मचारियों को जिंदगी सबसे पहले है, इसके बारे में बताया जाएगा।

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अधिकारियों और कर्मचारियों में लक्ष्य को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा है। आफिस के घंटों में वृद्धि हो रही है। पिछले दिनों आइपीएस द्वारा आत्महत्या की घटनाओं को वाणिज्य कर विभाग के उपायुक्त प्रशासन चंद्रकांत रल्हन और सहायक आयुक्त कोमल छाबड़ा ने चेतावनी के रूप में लिया। विभाग में ऐसी कोई घटना न हो, इसके लिए प्रोजेक्ट के तहत अधिकारियों और कर्मचारियों को जीवन से प्यार करना सिखाया जाएगा। लव यू जिंदगी नाम के इस प्रोजेक्ट को सबसे पहले 25 सितंबर को वाणिज्य कर अधिकारियों और अगले दिन कर्मचारियों के बीच प्रस्तुत किया जाएगा। डेढ़ घंटे के इस कार्यक्रम में एक नाटक है। कुछ छोटी कहानियां हैं। एडिशनल कमिश्नर ग्रेड वन अशफाक अहमद ने इस प्रोजेक्ट के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं। वाणिज्य कर विभाग इस प्रोजेक्ट को जल्द ही पूरे प्रदेश में लागू कर सकता है। जीएसटी काउंसिल को भी इसकी जानकारी भेजी जाएगी ताकि दबाव के बीच इस तरह के बेहतर प्रयासों के बारे में बताया जा सके। ------------

वाणिज्य कर आयुक्त को इस कार्यक्रम की जानकारी दी गई है। उन्होंने इस कार्यक्रम की क्लिपिंग मंगाई है। इसकी तैयारी हो रही है।

- चंद्रकांत रल्हन, उपायुक्त प्रशासन, वाणिज्य कर विभाग, कानपुर।

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इन बिंदुओं पर ध्यान दिया जाएगा

- क्या हम वास्तव में अपनी जिंदगी जी रहे हैं या इसे सिर्फ काट रहे हैं।

- हमारे लिए अपनी जिंदगी की क्या वैल्यू है।

- प्राथमिकता सूची में हमारी जिंदगी हमारे लिए कहां है।


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