UP में चिलचिलाती धूप और तपिश के कारण करोड़ों की कृषि-वन संपदा जली, तस्वीरों में देखें स्थिति
Wildfire In UP बुंदेलखंड के चित्रकूट और बांदा में आग का सबसे ज्यादा प्रकोप देखने को मिल रहा है। होली के बाद से ही बदले मौसम ने कृषकों की भी चिंता को बढ़ा दिया है। ऐसे में उनकी गेहूं की पकी फसल पर सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है।
कानपुर, जेएनएन। Wildfire In UP होली के बाद से मौसम में हुए परिवर्तन ने तपिश और लू का अहसास कराना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं आसमान से बरसने वाली आग इन दिनों प्रदेश में कृषि और वन संपदा को बड़ा नुकसान पहुंचा रही है। विगत दिनों से जल रहे चित्रकूट स्थित पाठा के जंगल की तस्वीरें देखकर इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि वृक्षारोपण योजना कैसे पल-पल धुएं में उड़ रही है। हालांकि गर्मी का सितम यहीं नहीं थमता है, बल्कि वो अन्नदाता जो वर्ष भर खेत को अपने खून और स्वेद (पसीने) से सींचते हैं उनके परिश्रम में खड़ी फसलें लहलहाने से पहले ही आग की भेंट चढ़ गई हैं। वैसे आपको बता दें कि आग सबसे ज्यादा असर बुंदलेखंड क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। इस खबर में आप जानेंगे कि बुधवार को किस जिले में फसलें और जंगल जले हैं। आइए जानते हैं:
चित्रकूट में करोड़ों की वन संपदा जली: यहां के जंगलों में लगी आग का दायरा सौ किलोमीटर तक फैल चुका है। एमपी बार्डर से लेकर यूपी के बरगढ़ तक विंध्य पर्वत श्रृंखला तक आग का प्रकोप है। आग में सजावटी और औषधीय पेड़ पौधे जल रहे हैं, इसके अलावा तमाम छोटे जीव जंतुओं के मरने की भी आशंका है। दस दिन से मारकुंडी के टिकरिया, जमुनिहाई, मानिकपुर ऐलहा बडैया, कोटा कदैला, चुल्ही, रैपुरा देसाह, बरगढ़ कटैया डांढ़ी, कलचिहा, खंडेहा और कर्वी रेंज सिद्धपुर, देवांगना, बनाड़ी, मरजादपुर, खोह और बांके सिद्ध के जंगल में लगी आग को वन कर्मी बुझा नहीं पाए हैं, इतने में दूसरे जंगल भी जलने लगे है।
बुधवार को एमपी के हनुमानधारा के पहाड़ में दोपहर 12 बजे भीषण आग लग गई। सड़क किनारे की आग तो बुझ गई है, लेकिन पहाड़ के ऊपर अभी लपटें उठ रही हैं। इस जंगल में सागौन, आंवला समेत बांस की कोठियां हैं। जिनको काफी मात्रा में नुकसान पहुंचा है। यहां पर आग का विकराल रूप देखकर इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि यहां आग से करोड़ों की वन संपदा को क्षति पहुंची है।
बांदा में कालिंजर दुर्ग के जंगल का बड़ा हिस्सा जलकर हुआ राख: दुर्ग में जाने वाली सड़क के दोनों ओर बांस का घना जंगल है। इस जंगल को आग ने बुधवार सुबह से अपनी चपेट में ले रखा है। इसके नीचे सगरा बांध से लगा हुआ वन विभाग का जंगल है, जहां हजारों पेड़ हैं। भगवान नीलकंठ मंदिर के नीचे की तरफ कटरा कालिंजर के जंगल को भी आग ने अपने आगोश में ले लिया है। इसके चलते हजारों हरे पेड़, जंगली जीव-जंतु, दुर्लभ औषधियों को आग ने जला कर राख कर दिया है। दुर्ग के उत्तर दिशा में पाताल गंगा, सीता सेज, सीताकुंड है। यह सब आग की चपेट में हैं।
बांदा में कई बीघा गेहूं की पैदावार जलकर हुई नष्ट: पहली घटना चिल्ला थाना क्षेत्र के तारा गांव में हुई। यहां तेज हवा के चलते एचटी लाइन के तार आपस में टकराने के बाद चिंगारी गेहूं की पकी फसल पर गिर गई। देखते ही देखते ही आग फैलने लगी और कई किसानों की फसल चपेट में आ गई। वहीं, दूसरी ओर मंझीवा सानी के वैद्यनपुरवा में भी बिजली के तारों से निकली चिंगारी से खड़ी फसल में आग लग गई। देखते ही देखते बारह बीघा की फसल पूरी तरह से जलकर राख हो गई। तीसरी घटना ग्राम तुर्रा के मजरा कुम्हारन पुरवा में हुई। यहां 11 हजार विद्युत लाइन की चिंगारी से गेहूं के खेत में आग लग गई। जिससे जालिम प्रजापति की लगभग एक बीघे की गेहूं की फसल जल कर राख हो गई।
कानपुर में देहात में आग का आतंक: गेहूं के खेत से करीब दो सौ मीटर दूर पांडु नदी पुल के पास झाडिय़ों में आग लग गई। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू किया जा सका। वहीं, दूसरी घटना लौवा गांव के पास घटित हुई। गेहूं की फसल में आग लगने के बाद एक बीघा फसल जल गई। तीसरी घटना में बहबलपुर के पास जंगल में अचानक आग लगी। यहां भी गेहूं की पकी फसल को नुकसान पहुंचा। आग की चपेट में आने से बलबीर की एक बीघा व हाकिम की पांच बिस्वा गेहूं की फसल जलकर खाक हो गई।