किसान आंदोलन से प्रभावित हुआ कानपुर का उद्योग, उत्पादन क्षमता में दर्ज की गई गिरावट
Farmer Protest Impact महीने भर से केमिकल की कई खेप दिल्ली बॉर्डर से नहीं आ पा रहीं शहर। केमिकल न मिलने से ऑर्डर होने के बाद उत्पाद बनाने का गहराया संकट। हरियाणा दिल्ली व गुजरात से आने वाला केमिकल 10 दिनों से बिल्कुल नहीं आ पा रहा है।
कानपुर, जेएनएन। किसान आंदोलन के कारण केमिकल की खेप न पहुंचने से उद्योगों की हालत खराब है। महीने भर से केमिकल की कई खेप दिल्ली बॉर्डर से शहर नहीं आ पा रही हैं। इसके चलते प्लास्टिक, चर्म, रबर और कपड़ा समेत अन्य उत्पादों को बनाने में इस्तेमाल होने वाला केमिकल औद्योगिक इकाइयों तक नहीं पहुंच पा रहा है। उद्यमियों का कहना है कि बजट आ चुका है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को नए ऑर्डर मिलने शुरू हो गए हैं, लेकिन केमिकल की कमी मुश्किलें खड़ी कर रही है।
चीन के बहिष्कार से पहले भी प्रभावित हो चुका कारोबार
पंजाब से एग्रो केमिकल, हरियाणा से पेट्रो केमिकल, दिल्ली से ड्राई केमिकल व राजस्थान से मिनरल्स आते हैं। यह कच्चा माल न आने से निर्यात को तगड़ा झटका लग सकता है। दिल्ली से सॉलवेंट, केमिकल, डाइज, हाइड्रोजन परॉक्साइड व एसिटिक एसिड समेत अन्य केमिकल शहर में आता है। इनमें ज्यादातर केमिकल चर्म व होजरी उद्योग में इस्तेमाल होते हैं। चर्म उद्यमी नैयर जमाल ने बताया कि राजस्थान से सोडियम सल्फाइड, बेसिक क्रोम सल्फेट, लाइम्ड (चूना) व गुजरात से नमक आता है। इससे चमड़ा साफ किया जाता है। यह केमिकल नहीं आ पा रहा है। इन केमिकल और सॉल्ट में 20 फीसद तक कमी आ गई है। चर्म उद्यमी फिरोज आलम ने बताया कि हरियाणा, दिल्ली व गुजरात से आने वाला केमिकल 10 दिनों से बिल्कुल नहीं आ पा रहा है। ऐसे में जो ऑर्डर मिले थे, वो पूरे नहीं हो पा रहे हैं। चीन से पहले ही केमिकल आने पर पाबंदी लग गई। अब स्थिति और खराब हो गई है।
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दिल्ली से माल कम आ रहा है, जिससे ट्रांसपोर्ट के दाम 20 फीसद तक बढ़ गए हैं। केमिकल देर से आ रहा है, जबकि महंगा भी खरीदना पड़ रहा है। शहर की औद्योगिक इकाइयों के लिए दिल्ली और हरियाणा से सात सौ टन केमिकल प्रतिमाह आता है। चर्म व प्लास्टिक उद्योग में इन केमिकल की मांग सर्वाधिक है। प्लास्टिक उद्योग में 15 से 20 प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल होता है। - आरके सफ्फड़, महासचिव उप्र डाइज एंड केमिकल मर्चेंट एसोसिएशन