WhatsApp ग्रुपों में जुड़कर बेच रहे नकली इंजेक्शन, पुलिस ने इस तरह से खोली इनकी कलई
इस गिरोह का पर्दाफाश करने वाले प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉ. करन ङ्क्षसह चौहान ने बताया कि उनकी बहन की शादी बनारस में हुई है। बहन के सुसर विनोद कुमार ङ्क्षसह जो कि बनारस क्लब के डायरेक्टर भी थे
कानपुर, जेएनएन। ब्लैक फंगस में कारगर लाइपोजोनल इंम्फोटोरिसिन बी इंजेक्शन का नकली माल बाजार में उतारने वाला गिरोह WhatsApp ग्रुप में जुड़कर अपना माल बेच रहा है। चूंकि इस गिरोह में मेडिकल लाइन से जुड़े लोग भी शामिल हैं, इसलिए जल्दी कोई शक भी नहीं करता। पुलिस की पूछताछ में सामने आया है कि गिरोह अब तक काफी संख्या में यह इंजेक्शन बाजार में उतार चुका है।
इस गिरोह का पर्दाफाश करने वाले प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉ. करन ङ्क्षसह चौहान ने बताया कि उनकी बहन की शादी बनारस में हुई है। बहन के सुसर विनोद कुमार ङ्क्षसह जो कि बनारस क्लब के डायरेक्टर भी थे, वह 19 मई को ब्लैक फंगस के शिकार हो गए। उन्हेंं बनारस के हेरिटेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने उनकी उम्र व वजन के हिसाब से लाइपोजोनल इंम्फोटोरिसिन बी के कम से कम 45 इंजेक्शन का इंतजाम करने को कहा। उन्होंने अपने मित्र विनीत से कहा। विनीत को एक WhatsApp ग्रुप से ज्ञानेंद्र का नंबर मिला। उन्होंने ज्ञानेंद्र से बात की। चूंकि ज्ञानेंद्र खुद एमआर था, इसलिए उस पर शक करने का कोई कारण नहीं दिखाई दिया।
हालांकि उन्होंने इस पर चर्चा जरूर की। 30 इंजेक्शन उन्होंने ज्ञानेंद्र से खरीदा, जबकि अन्य का इंतजाम उन्होंने दूसरे माध्यम से किया। जब दोनों इंजेक्शन पर लगे रैपर का मिलान कराया गया तो आंखें खुली की खुली रह गयी। असली इंजेक्शन पीले रंग का है, जबकि नकली का रंग सफेद था। इसी तरह लोगों में अंतर था। जो विवरण लिखा हुआ था, उसमें भी अंतर मिला। डॉ. करन के मुताबिक नकली इंजेक्शन का प्रयोग करने की वजह से ही 25 मई को उनके मरीज की मृत्यु भी हो गई। एसीपी त्रिपुरारी पांडेय ने बताया कि आरोपितों से पूछताछ में सामने आया है कि उक्त लोग लखनऊ से इंजेक्शन लाए थे।
हाईकोर्ट लिखी कार पुलिस ने बरामद की : नकली इंजेक्शन बेचने वाले गिरोह के पास से पुलिस ने यूपी 32 एफजेड 0723 नंबर की एक एक्सयूवी कार भी बरामद की है। काले रंग की इस कार में नंबर प्लेट के ऊपर हाईकोर्ट लिखा हुआ है। पुलिस कार मालिक के बारे में जानकारी जुटा रही है। वाहन नंबर की जानकारी करने वाले एक ऐप में जब इस नंबर को डाला गया तो जानकारी मिली कि यह गाड़ी किसी नरेंद्र कुमार के नाम से लखनऊ आरटीओ में पंजीकृत है।