तिल निर्यातकों को मंडी व विकास शुल्क से छूट
तिल पर लगता है दो फीसद मंडी और आधा फीसद विकास शुल्क
जागरण संवाददाता, कानपुर : तिल के किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने पांच वर्ष की योजना तैयार की है। 2023 तक चलने वाली उप्र प्रसंस्कृत तिल निर्यात प्रोत्साहन योजना में निर्यातकों को मंडी और विकास शुल्क से छूट मिलेगी। तिल पर दो फीसद मंडी और आधा फीसद विकास शुल्क है। खुद कानपुर बड़ा निर्यात केंद्र है और यहां से रोज करीब 100 टन तिल निर्यात होता है। धुले तिल के मामले में भारत सबसे आगे है। कच्चे तिल में सूडान और इथोपिया नंबर एक हैं।
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ये मिलेंगी सुविधाएं
-प्रदेश के तिल निर्माता, निर्यातक किसान या किसान उत्पादक संघ से खरीद करेंगे तो उन्हें मंडी व विकास शुल्क से छूट मिलेगी।
-आढ़तियों से खरीद करने पर उन्हें सिर्फ मंडी शुल्क की छूट मिलेगी।
-निर्यात होने पर जीएसटी के प्रावधानों के अनुसार इनपुट टैक्स क्रेडिट का रिफंड मिलेगा।
-मंडी व विकास शुल्क से छूट केवल विदेशी मुद्रा में किए निर्यात पर मिलेगी। भारतीय मुद्रा में किए जाने वाले निर्यात पर छूट नहीं मिलेगी।
-निर्यातकों को भारत सरकार की संस्था कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण में पंजीकरण कराना होगा। उन्हें प्रदेश में अलग से पंजीकरण नहीं कराना होगा।
-हर माह निर्यात तिल की जानकारी मंडी समिति को देनी होगी। ऐसा न करने पर निर्यात न माना जाएगा।
-निर्यातक को गेट पास जारी होने के 180 दिन के अंदर बिल आफ लैंडिंग, शिपमेंट बिल आदि मंडी समिति को देने होंगे।
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सबसे ज्यादा चीन में उपयोग
चीन में तिल का सबसे ज्यादा उपयोग होता है। अपने यहां सरसों के तेल का इस्तेमाल अधिक होता है।
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मंडी शुल्क व विकास शुल्क की छूट मिलने से कारोबारियों को लाभ है लेकिन जो सीधे निर्यात नहीं करते उन्हें लाभ नहीं मिलेगा। उनसे तिल लेकर दूसरे लोग निर्यात करते हैं वे इसका लाभ ले लेंगे।
-सुमित, तिल निर्यातक