'102 नॉटआउट' : इनकी उम्र पर मत जाना, इनका कायल है जमाना
युवाओं के लिए मिसाल की तरह हैं लुखरू सिंह। योग की दे रहे हैं सीख और गांव के मामूली झगड़ों में समझौता कराना काम है, प्यार से लोग वैद्य बाबा बुलाते हैं।
By AbhishekEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 04:54 PM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 04:54 PM (IST)
कानपुर (जागरण स्पेशल)। '102 नॉट आउट' यह क्रिकेट का स्कोर नहीं बल्कि एक फिल्म है जिसमें दत्तात्रेय (अमिताभ बच्चन) 118 साल तक जीना चाहते हैं। उनकी ख्वाहिश चीन के सबसे ज्यादा उम्र तक जीवित रहने वाले व्यक्ति का रिकॉर्ड तोडऩे की है। टेंशन कभी लेते नहीं बस फिक्र रहती है तो अपने 75 वर्षीय पुत्र बाबूलाल (ऋषि कपूर)की । ऐसे ही एक शख्स नायकपुरवा के लुखरू सिंह हैं। ये दत्तात्रेय की तरह ही 102 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं। इन्हें किसी का रिकॉर्ड तो नहीं तोडऩा लेकिन ख्वाहिश गांव को खुशहाल रखने की है। 75 वर्ष से ये अपने गांव की चिंता कर रहे हैं। दिनभर गांव के लोगों की समस्याएं और विवाद सुलझाना इनका काम है। लोग इन्हें प्यार से वैद्य बाबा भी बुलाते हैं।
आजीवन अविवाहित रहने का लिया संकल्प
जिंदगी जीने का जज्बा हो तो उम्र बाधा नहीं बन सकती। हमीरपुर जिला मुख्यालय की सीमा के अंतिम छोर पर बसे नायकपुरा गांव में रहने वाले लुखरू सिंह इसका जीता जागता उदाहरण है। सन् 1916 के अप्रैल माह की 15 तारीख को जन्मे लुखरू सिंह 102 साल सात महीने की आयु पूरी कर चुके हैं। बचपन में पहलवानी का शौक लगा तो पढ़ाई में मन नहीं लगा। आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया और गांव की सेवा में जुट गए। 1955 में गांव में प्रधान चुने गए और 1980 तक लगातार चुनाव जीते। गांव में योग और शांति की अलख ऐसी जगाई कि हर कोई इनका कायल हो गया।
नियमित जीवनशैली लंबी उम्र का राज
उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बाद भी वह प्रतिदिन सुबह चार बजे उठकर सबसे पहले योग करते हैं। इसके बाद घर के कामकाज निपटाने में जुट जाते हैं। लुखरू सिंह कहते हैं कि आज तक बुखार छोड़कर कभी किसी बीमारी ने उन्हें नहीं जकड़ा। आज की पीढ़ी का 100 वर्ष की आयु पूरा करना मुश्किल है। इसका कारण अनियमित जीवनशैली है। युवा न तो सूर्योदय से पहले उठते हैं और न ही व्यायाम करते हैं। इससे उनके शरीर पर असर पड़ता है और बीमारियां उन्हें घेर लेती हैं।
गांव के विवाद-समस्यायें सुलझाते हैं
लुखरू सिंह अपने तजुर्बे से गांव के विवाद और समस्यायें भी सुलझाते हैं। कोर्ट कचहरी तक पहुंचे मामले वह चुटकियों में हल कर देते हैं। हाल ही में शिवलाल का परिवार से हुआ विवाद इसका उदाहरण है। मामला कचहरी में था लेकिन लुखरू सिंह ने बुलाकर दोनों पक्षों में समझौता करा दिया। इसी तरह कुन्ना का भी अपने भतीजे से खेत को लेकर विवाद था। दोनों पक्षों को बुलाया और समझौते पर राजी किया।
ऐसे बने वैद्य बाबा
लुखरू सिंह गांव से अक्सर शहर जाया करते थे। ऐसे में गांव के लोग उनसे दवाईयां व अन्य चीजें मंगा लिया करते थे। वह सबकी मांग पूरी करते थे। इसलिए गांव की महिलाएं और पुरुष उन्हें वैद्य बाबा बुलाने लगे। वह कहते हैं कि लोग मेरा सम्मान करते चले आ रहे हैं। मेरी बात भी मान लेते हैं तो अच्छा लगता है।
आजीवन अविवाहित रहने का लिया संकल्प
जिंदगी जीने का जज्बा हो तो उम्र बाधा नहीं बन सकती। हमीरपुर जिला मुख्यालय की सीमा के अंतिम छोर पर बसे नायकपुरा गांव में रहने वाले लुखरू सिंह इसका जीता जागता उदाहरण है। सन् 1916 के अप्रैल माह की 15 तारीख को जन्मे लुखरू सिंह 102 साल सात महीने की आयु पूरी कर चुके हैं। बचपन में पहलवानी का शौक लगा तो पढ़ाई में मन नहीं लगा। आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया और गांव की सेवा में जुट गए। 1955 में गांव में प्रधान चुने गए और 1980 तक लगातार चुनाव जीते। गांव में योग और शांति की अलख ऐसी जगाई कि हर कोई इनका कायल हो गया।
नियमित जीवनशैली लंबी उम्र का राज
उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बाद भी वह प्रतिदिन सुबह चार बजे उठकर सबसे पहले योग करते हैं। इसके बाद घर के कामकाज निपटाने में जुट जाते हैं। लुखरू सिंह कहते हैं कि आज तक बुखार छोड़कर कभी किसी बीमारी ने उन्हें नहीं जकड़ा। आज की पीढ़ी का 100 वर्ष की आयु पूरा करना मुश्किल है। इसका कारण अनियमित जीवनशैली है। युवा न तो सूर्योदय से पहले उठते हैं और न ही व्यायाम करते हैं। इससे उनके शरीर पर असर पड़ता है और बीमारियां उन्हें घेर लेती हैं।
गांव के विवाद-समस्यायें सुलझाते हैं
लुखरू सिंह अपने तजुर्बे से गांव के विवाद और समस्यायें भी सुलझाते हैं। कोर्ट कचहरी तक पहुंचे मामले वह चुटकियों में हल कर देते हैं। हाल ही में शिवलाल का परिवार से हुआ विवाद इसका उदाहरण है। मामला कचहरी में था लेकिन लुखरू सिंह ने बुलाकर दोनों पक्षों में समझौता करा दिया। इसी तरह कुन्ना का भी अपने भतीजे से खेत को लेकर विवाद था। दोनों पक्षों को बुलाया और समझौते पर राजी किया।
ऐसे बने वैद्य बाबा
लुखरू सिंह गांव से अक्सर शहर जाया करते थे। ऐसे में गांव के लोग उनसे दवाईयां व अन्य चीजें मंगा लिया करते थे। वह सबकी मांग पूरी करते थे। इसलिए गांव की महिलाएं और पुरुष उन्हें वैद्य बाबा बुलाने लगे। वह कहते हैं कि लोग मेरा सम्मान करते चले आ रहे हैं। मेरी बात भी मान लेते हैं तो अच्छा लगता है।
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