इंजीनियर की बेटी ने विवि गर्ल्स हॉस्टल में लगाई फांसी
बैक पेपर क्लीयर न कर पाने पर उठाया आत्मघाती कदम, सुसाइड नोट में बताया खुद को जिम्मेदार, देर रात कन्नौज से आए परिजन, पिता एनएचएआई में आगरा-लखनऊ मार्ग के हैं इंजीनियर
जागरण संवाददाता, कानपुर : पिछली परीक्षा में मेरी फिर बैक आ गई है, मैं उसे क्लीयर नहीं कर पा रही हूं। अपनी जान दे रही हूं और इसके लिए मैं खुद जिम्मेदार हूं..। छत्रपति शाहूजी महाराज विवि से बॉयोटेक प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रही कन्नौज की छात्रा ने मंगलवार शाम सुसाइड नोट में ये लाइनें लिखकर गर्ल्स हॉस्टल के कमरे में फांसी लगा ली। रूममेट के पहुंचने पर घटना की जानकारी पुलिस को दी गई। सूचना पर पहुंची पुलिस व फोरेंसिक टीम ने जांच शुरू की। वहीं जानकारी मिलते ही कन्नौज से छात्रा के परिजन भी देर रात कानपुर पहुंच गए।
मूलरूप से मुजफ्फरपुर (बिहार) निवासी दिवाकर मूर्ति झा एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) में आगरा लखनऊ मार्ग के इंजीनियर हैं। वह परिवार समेत कन्नौज में रहते हैं। जबकि उनकी बेटी अलंकृति (20) विवि में बीएससी बॉयोटेक प्रथम वर्ष की छात्रा थी। वह विवि के कावेरी गर्ल्स हॉस्टल की तीसरी मंजिल पर कमरा नंबर 323 में रहती थी। पिछले साल परीक्षा में वह एक पेपर में फेल हो गई थी। इससे वह बेहद तनाव में थी, उसने अपनी सहेलियों से भी कहा ता कि वह बैक पेपर क्लीयर नहीं कर पाएगी।
रूममेट संभवी ने बताया कि मंगलवार शाम वह पानी लेने ग्राउंड फ्लोर गई थी। वापस लौटी तो कमरे का दरवाजा अंदर से बंद पाया।
कई आवाज देने पर भी जब अलंकृति ने दरवाजा नहीं खोला। जिसपर स्टूल लगाकर रोशनदान से झांका तो अलंकृति का शव पंखे से दुपंट्टे के सहारे लटकता देखा। उसने तुरंत बाकी छात्राओं व वार्डन वारसी सिंह को जानकारी दी। इंस्पेक्टर सतीश कुमार सिंह ने बताया कि फोरेंसिक टीम को कमरे से सुसाइड नोट मिला है, जिसमें बैक पेपर क्लीयर न कर पाने के चलते आत्महत्या की बात लिखी है। पत्र की जांच कराई जा रही है।