सुनिए वित्त मंत्री जी.., इलेक्ट्रिकल उत्पाद का बने कुटीर उद्योग, ताकि खत्म हो चीन पर निर्भरता
कानपुर के कारोबारियों का कहना है कि छोटे-छोटे कमरों में भी इलेक्ट्रिकल उत्पादों का निर्माण किया जा सकता है। साथ ही तीन माह से लगातार केबल की बढ़ती कीमतों को कम करने की भी मांग बजट में उठाई है।
कानपुर, जेएनएन। बिजली के उपकरणों की प्रत्येक व्यक्ति को जरूरत पड़ती है। चाहे वह घर में एक बल्ब हो या पंखा। इसके लिए स्विच से लेकर तार की आवश्यकता होती है। इलेक्ट्रिकल उपकरण के क्षेत्र को देश के अलग-अलग हिस्सों में कुटीर उद्योग के रूप में विकसित करके चीन पर निर्भरता पूरी तरह खत्म की जा सकती है। कानपुर का मनीराम बगिया इलेक्ट्रिकल उपकरण का बड़ा बाजार है। आसपास के जिलों से यहां रोज फुटकर दुकानदार खरीदारी करते हैं, जबकि स्थानीय ग्राहक भी प्रतिदिन पहुंचते हैं। 300 थोक और करीब डेढ़ हजार फुटकर दुकानों के माध्यम से करीब 10 हजार कर्मचारी भी रोजगार पा रहे हैं।
कारोबारियों ने कही अपनी बात
- एलईडी, बल्ब, झालर, स्विच, बोर्ड, छोटे पंप का निर्माण छोटे-छोटे कमरों में किया जा सकता है। सरकार इन्हें कुटीर उद्योग के रूप में बढ़ावा दे। इन्हें विकसित किया गया तो रोजगार भी बढ़ेगा और चीन की तरफ भी नहीं देखना होगा। - राजीव मेहरोत्रा, अध्यक्ष, कानपुर इलेक्ट्रिक कांट्रेक्टर्स एंड मर्चेंट््स वेलफेयर एसोसिएशन।
- ऐसी कोई चीज नहीं है, जो चीन बना सकता है और हम नहीं बना सकते। अभी बहुत समय है, हमें बिजली के झालर की मशीन पर काम कराना चाहिए। सबके लिए जरूरी होने के बाद भी बिजली के उपकरणों पर 12 से 18 फीसद जीएसटी है, इसे कम किया जाए। - मोहित अरोड़ा, महामंत्री, कानपुर इलेक्ट्रिक कांट्रेक्टर्स एंड मर्चेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन।
- बिजली के तारों में कॉपर, एल्युमिनियम के भाव तीन माह में 30 से 35 फीसद बढ़ गए हैं। हर 10-15 दिन में नई रेट लिस्ट आ जाती है। इसमें कमी करने के लिए प्रयास किए जाएं। जीएसटी में ई-वे बिल 200 किलोमीटर के नए नियम में राहत दी जाए। - प्रवीन आनंद, बिजली उपकरण के थोक कारोबारी।