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आठ साल में खुलेंगे आठ हजार सीएनजी पंप, हर 40 किमी पर होगी सुविधा

पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस रेगुलेट्री बोर्ड ने तैयार किया खाका सीएनजी कारें भी बढेंग़ी।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 11:26 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 10:27 AM (IST)
आठ साल में खुलेंगे आठ हजार सीएनजी पंप, हर 40 किमी पर होगी सुविधा
आठ साल में खुलेंगे आठ हजार सीएनजी पंप, हर 40 किमी पर होगी सुविधा

कानपुर, जेएनएन। आने वाले समय में सीएनजी के लिए वाहन चालकों को लंबी दूर तय करते हुए पंप नहीं तलाशने होंगे। प्रत्येक 40 किलोमीटर पर वाहनों को सीएनजी मिलेगी। पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस रेगुलेट्री बोर्ड ने आठ साल में आठ हजार सीएनजी पंप खोलने का खाका तैयार किया है। इसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है। यह बातें इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के निदेशक (कॉमर्शियल) राजीव सिक्का ने हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) में शनिवार को हुए ई-समिट के दौरान बताईं।

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अभी कई शहरों को जोडऩे वाली सड़कों व हाईवे में पर्याप्त सीएनजी पंप नहीं हैं, जिससे राहगीरों को पेट्रोल व डीजल पर निर्भर रहना पड़ता है। उन्होंने बताया कि सीएनजी पंप बढऩे के साथ सीएनजी कारें भी बढ़ेंगी। इसके नए मॉडल बनाए जाने पर भी काम शुरू हो चुका है। कंपनी दो वर्ष के अंदर कार के कुछ नए मॉडल बाजार में उतारेगी क्योंकि इस समय अंतराल तक कई नए सीएनजी पंप खुल चुके होंगे। आठ साल बाद सीएनजी पंप की जरूरत करीब करीब पूरी हो जाएगी। इस समय अंतराल में 75 देश कवर हो जाने की संभावना है। सीएनजी के अलावा घर-घर गैस कनेक्शन पहुंचाने की दिशा में भी तेजी से काम चल रहा है। आठ वर्ष में चार करोड़ पीएनजी कनेक्शन देने का लक्ष्य है।

उद्यमिता के लिए सस्ती व टिकाऊ तकनीक की दरकार

ई-समिट में आइआइटी प्रोफेसर जे रामकुमार ने छात्रों को उद्यमिता स्थापित करने के टिप्स दिए। कहा कि इसके लिए सबसे पहले ऐसी सामाजिक समस्या तलाशने की जरूरत है, जिससे अधिक से अधिक व्यक्ति जुड़े हों। इसके बाद उस समस्या का समाधान करने के लिए ऐसे आइडिया की जरूरत है, जिससे सस्ती व टिकाऊ तकनीक विकसित की जा सके। उद्यमिता को इसी की दरकार है।

इस मौके पर कुलपति प्रोफेसर एनबी सिंह ने छात्रों से कहा कि इस विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने का मकसद पूरा करने में आप प्रोफेसरों की मदद ले सकते हैं, लेकिन आपको भी स्वयं अपने विकास के लिए सोचना होगा। इस मौके पर कुलसचिव प्रोफेसर मनोज शुक्ला समेत अन्य वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। 


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