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गोद में बना डाले मकान और हो रही खेती, सिसक रही नदी

पांडवों के नाम से पुकारी जाने वाली पांडु नदी का अस्तित्व खतरे में है। नदी की भूमि पर जगह-जगह अतिक्रमण हो गया है।

By Edited By: Published: Sat, 02 Feb 2019 01:58 AM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2019 03:00 AM (IST)
गोद में बना डाले मकान और हो रही खेती, सिसक रही नदी
गोद में बना डाले मकान और हो रही खेती, सिसक रही नदी
कानपुर,जेएनएन। पांडवों के नाम से पुकारी जाने वाली पांडु नदी का अस्तित्व खतरे में है। नदी की भूमि पर जगह-जगह अतिक्रमण हो गया है। लोगों ने इमारतें बना लीं हैं। मेहरबान सिंह का पुरवा, मर्दनपुर, पनकी, पनकी भाऊ सिंह, बर्रा आठ आदि जगहों पर नदी भूमाफिया के कब्जे में है, जो प्लाटिंग कर भूमि बेच रहे हैं। मकानों के बनने से नदी का प्रवाह प्रभावित हुआ, नतीजतन पिछले वर्ष बाढ़ की विभीषिका लोगों को झेलनी पड़ी। नदी सिर्फ अतिक्रमण की शिकार ही नहीं है बल्कि हर रोज करोड़ों लीटर दूषित पानी नदी में गिर रहा है। इस कारण नदी का पानी काला हो गया है।
नदी को बचाने के लिए जिला प्रशासन या सिंचाई विभाग ने कोई पहल नहीं की है। नदी पाटकर किसान कर रहे खेती ककवन से पनकी तक जगह-जगह किसानों ने खेतों की मिट्टी लाकर तमाम जगह नदी को पाट दिया है। अब वहां खेती की जा रही है। सिर्फ बारिश में ही यहां पानी दिखता है। भू-माफिया ने बेच दी नदी सिंचाई विभाग और प्रशासन की अनदेखी के कारण किसान हो या भूमाफिया सभी ने कब्जा किया। माफिया ने तो कई जगह प्लाटिंग कर भूमि ही बेच डाली। मेहरबान सिंह का पुरवा, मर्दनपुर, पनका बहादुर नगर, बर्रा आठ आदि जगहों पर तो लोगों ने भूमाफिया से जमीनें लेकर मकान बना लिए हैं जबकि किसानों ने जमीन पर कब्जा करके बाउंड्री बना दी है।
तात्याटोपे नगर से मेहरबान सिंह का पुरवा जाने के रास्ते में पांडु नदी के पुल पर जो दृश्य दिखता है, वह किसी की भी आंखें खोल देने के लिए काफी है। यहां नदी को गुजरने देने के लिए जितना चौड़ा रास्ता पुल के नीचे से दिया है, आसपास के लोगों ने नदी में उससे ज्यादा बढ़कर कब्जा कर लिया है। नदी के एक तरफ केडीए की कॉलोनी होने से ज्यादातर कब्जे मेहरबान सिंह का पुरवा की तरफ से किए गए हैं। पुल के दाहिनी तरफ सिर्फ मकान ही नहीं बने हैं, आगे दीवार खींचकर नदी के अंदर ही जमीन सुरक्षित कर ली गई है।
रामगोपाल चौराहे से मेहरबान सिंह का पुरवा जाने पर भी पुल से ही नदी में कब्जे नजर आते हैं। सालों बाद आई बाढ़ ने खोल दी पोल पांडु नदी में 2018 के पहले कभी भी मेहरबान सिंह का पुरवा के आसपास बाढ़ नहीं आई। इसका फायदा लोगों ने उठाया और कब्जे कर मकान बनाए। सर्वाधिक मकान 2015 से 2017 के बीच बने। कई जगहों पर नदी ने नाले का रूप ले लिया। इसी कारण 2018 में बाढ़ आई और हजारों एकड़ फसल बर्बाद हुई। तलहटी में बनीं झोपड़ियां बह गई और कच्चे मकान ढह गए। कब्जे न होते तो नदी का प्रवाह बना रहता है और बाढ़ नहीं आती।
पिछले साल जब बाढ़ आई थी तो मायापुरम, बर्रा-8 के वरुण विहार, सुन्दर नगर, मेहरबान सिंह का पुरवा, पनकी, जरौली फेस-2 के पिपौरी, गोपालपुर, टिकरा, पनका, बहादुर नगर, छीतेपुर, बनपुरवा आदि मोहल्लों में चार-चार फीट तक पानी भर गया था। साकेत नगर, रतनलाल नगर, बाईपास आसपास के इलाके भी बाढ़ से प्रभावित रहे। इससे सैकड़ों परिवारों को पलायन करना पड़ा था। नाराज जनता ने फूंक दिए थे वाहन जलभराव से नाराज जनता सड़क पर उतर आई थी और वाहन फूंक दिए थे। गुजैनी के पास हाईवे पर गुस्साई भीड़ ने जाम लगाकर कई वाहन फूंक दिए थे। घंटों चले उपद्रव में कई पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई थीं। इस घटना के बाद भी अफसरों ने सबक नहीं लिया।
बाढ़ गई, बात गई
बाढ़ के समय नदी को बचाने के लिए मंडलायुक्त, डीएम, केडीए उपाध्यक्ष ने बड़े-बड़े वादे किए थे। कहा गया था जिन्होंने कब्जे किए हैं, उन्हें चिह्नित कर कब्जे ढहाए जाएंगे। जिन भूमाफिया ने प्लाटिंग की है, उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। इन दावों की हवा हवा तभी निकल गई, जब एक हफ्ते तक सर्वे चला फिर फाइल ही बंद कर दी गई। सर्वे में कितने लोग सूचीबद्ध किए गए और वे कहां के थे, इसका आज तक पता नहीं चला।
शहर आए सिंचाई मंत्री ने भी नदी को कब्जा मुक्त कराने के आदेश दिए थे, लेकिन उनके आदेश को भी ठेंगा दिखा दिया गया। प्रदूषण से कराह रही नदी पांडु नदी प्रदूषण से करार रही है। दादानगर व पनकी औद्योगिक क्षेत्र का कचरा इस नदी में जाता है। इसके साथ ही तटवर्ती मोहल्लों के हजारों घरों का सीवर नदी में जा रहा है। नदी का पानी पूरी तरह से काला हो चुका है। सच तो यह है कि अगर नाले न गिरें तो नदी पूरी तरह से सूख जाएगी।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों की जिम्मेदारी है कि वह नदी में सीवर और औद्योगिक कचरा बहा रहे लोगों पर कार्रवाई करे, लेकिन अफसर आंखे बंद किए बैठे हैं। पनकी पावर हाउस की राख भी इस नदी के लिए काल बनी हुई है। पनका के पास सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाना है, पर कब बनेगा पता नहीं। 

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