खास तरह का सुरक्षा घेरा अब मोड़ देगा भूकंप की राह
फ्रांस के वैज्ञानिकों ने तैयार की खास तरह की तकनीक, अब आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञ भी साथ मिलकर करेंगे काम। यह तकनीक फोटॉनिक्स के सिद्धांत पर आधारित है।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। धरती का कंपन यानि भूकंप का नाम सुनते ही इंसान की रुह कांप उठती है। भूकंप के एक मामूली झटके से हजारों जानें और शहर के शहर धराशायी हो जाते हैं। जनजीवन सामान्य होने में वर्षों लग जाते हैं, अभी तक भूकंप का खतरा कम करने के लिए भूकंपरोधी भवन की तकनीक पर निर्भर हैं। लेकिन अब फ्रांस के वैज्ञानिकों ने भूंकप की राह को मोडऩे के लिए खास तरह की तकनीक ईजाद की है। इस तकनीक पर अब उनके साथ मिलकर आइआइटी के वैज्ञानिक भी काम करेंगे।
कानपुर स्थित आइआइटी में गुरुवार को ऑप्टिक्स पर आयोजित सेमिनार में इंस्टीट्यूट फ्रेसनेल फ्रांस के निदेशक प्रो. स्टीफन इनॉक ने भूकंप के खतरे को कम करने के लिए विकसित की गई तकनीक के बारे में बताया। यह एक तरह सुरक्षा के घेरे की तरह होगा, जो भूकंप के खतरे को रोकेगा। भूमि के अंदर से उत्पन्न होकर सतह पर आने वाली भूकंपीय तरंगों की राह को आवासीय क्षेत्रों से दूर मोडऩे का काम करेगी, जिससे भवन सुरक्षित रह सकेंगे। फांस द्वारा विकसित इस तकनीक पर कई और देशों में भी काम किया जा रहा है।
कैसे काम करेगी तकनीक
प्रो. स्टीफन इनॉक ने बताया कि यह तकनीक फोटॉनिक्स के सिद्धांत पर आधारित है। इसमें खास तरह के पदार्थ मैटामेटेरियल्स का एक घेरा बनाया जाएगा, जिससे टकराकर सिसमिक वेव्स (भूकंपीय तरंगे) बाहर की ओर निकल जाएंगी। उन्होंने बताया कि मैटामेटेरियल्स कंपोसिट मैटेरियल्स से तैयार होता है, इसमें विशेष तरह के धातुओं और प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है।
यह दोहराव के पैटर्न पर इस तरह से बनाए जातें हैं, जिसमें वेवलेंथ (तरंग दैध्र्य) काफी छोटी हो जाती हैं। इसके गुण मूल पदार्थों के गुण से भिन्न होते हैं। इसका आकार, ज्यामितीय और अभिविन्यास होने की वजह से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों को प्रभावित करता है। उन्होंने बताया कि इंस्टीट्यूट फ्रेसनेल और आइआइटी मिलकर ऑप्टिक्स, फोटॉनिक्स पर काम कर रहे हैं। दोनों संस्थानों की ओर से जल्द नया प्रोजेक्ट किया जाएगा।