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सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की जान से खिलवाड़, वाटर एटीएम में मिला 'ई-कोलाई' Kanpur News

प्लेटफार्म नंबर एक और चार-पांच पर वाटर एटीएम के पानी के नमूने फेल।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 10:57 AM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 10:57 AM (IST)
सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की जान से खिलवाड़, वाटर एटीएम में मिला 'ई-कोलाई' Kanpur News
सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की जान से खिलवाड़, वाटर एटीएम में मिला 'ई-कोलाई' Kanpur News

कानपुर, [गौरव दीक्षित]। सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर लगे वाटर एटीएम जानलेवा बीमारियां बांट रहे हैं। इस पानी में खतरनाक 'ई-कोलाई' बैक्टीरिया पाया गया है। हैरानी की बात ये है कि एक सप्ताह पहले रिपोर्ट आने के बावजूद सेंट्रल स्टेशन पर आने वाले यात्री यही दूषित पानी पीने को मजबूर हैं।

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स्टेशन पर आठ वाटर एटीएम

इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आइआरसीटीसी) ने सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर आठ वाटर एटीएम लगाए हैं। इनके पानी की जांच के लिए हर माह रैंडम नमूने लिए जाते हैं। पिछली चार नवंबर को प्लेटफार्म नंबर एक पर पूर्व की ओर स्थित और प्लेटफार्म नंबर चार-पांच पर पश्चिम की ओर स्थित वाटर एटीएम के नमूने लिए गए थे। 15 नवंबर को इनकी चौंकाने वाली रिपोर्ट आई। उत्तर मध्य रेलवे के सेंट्रल हास्पिटल की खाद्य प्रयोगशाला में हुए परीक्षण में दोनों एटीएम के नमूने फेल हो गए। इस पानी में खतरनाक 'ई-कोलाई' बैक्टीरिया पाया गया। लापरवाही की हद देखिए, रेलवे अधिकारियों को रिपोर्ट मिले तकरीबन एक सप्ताह बीत चुका है, लेकिन दोनों एटीएम अभी तक बंद नहीं किए गए।

अप्रैल में भी फेल हुए थे नमूने

इसी साल अप्रैल माह में भी परीक्षण के दौरान वाटर एटीएम के नमूने फेल हो गए थे। उस वक्त प्लेटफार्म नंबर एक पर पश्चिमी ओर और प्लेटफार्म नंबर आठ-नौ पर स्थित एटीएम का पानी दूषित पाया गया था। हालांकि रिपोर्ट आने के बाद तत्काल प्रभाव से दोनों एटीएम बंद कर दिए गए थे।

जानलेवा है 'ई-कोलाई' बैक्टीरिया

उर्सला अस्पताल के पेट रोग विशेषज्ञ विजय सिंह कटियार के मुताबिक 'ई-कोलाई' एश्चेरिचिया कोलाई बैक्टीरिया का संक्षिप्त नाम है। आम तौर पर यह जीवाणु आम लोगों और जानवरों के मल में पाया जाता है। इसकी कुछ किस्में हानिरहित होती हैं, लेकिन कुछ जानलेवा हैं। इनसे फूड प्वाइजनिंग, दस्त तथा विभिन्न प्रकार के संक्रमण हो जाते हैं। खासकर छोटे बच्चे और बुजुर्ग हीमोलीटिक यूरेमिक सिंड्रोम का शिकार हो सकते हैं। ऐसा होने पर किडनी काम करना बंद कर देती है। एक अनुमान के मुताबिक दस फीसद रोगियों में यह सिंड्रोम विकसित होता है, जिसमें से तीन से पांच फीसद की मौत हो जाती है।

सीवेज लाइन हो सकी है कारण

डा. विजय कटियार के मुताबिक पानी में इस बैक्टीरिया की मौजूदगी का साफ मतलब है कि कहीं न कहीं पाइपलाइन सीवर लाइन के संपर्क में है। दरअसल यह बैक्टीरिया मानव और जानवर के मल में पाया जाता है। इसके अलावा अधपका मांस, कच्ची सब्जी और कच्चे दूध में भी इसकी बहुतायत होती है। एक संभावना यह भी है कि वाटर एटीएम मशीनों की गुणवत्ता ठीक नहीं है। इसी कारण पानी शुद्ध नहीं हो पा रहा है।

आइआरसीटीसी जिम्मेदार, लेकिन अफसर अनजान

स्टेशन पर पानी में बैक्टीरिया मिलने की जिम्मेदारी आइआरसीटीसी है। अधिकारियों के मुताबिक जांच रिपोर्ट तत्काल आइआरसीटीसी को भेजी गई थी। इसके बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया। आइआरसीटीसी के स्थानीय प्रभारी अमित सिन्हा ने बताया कि ऐसी किसी भी रिपोर्ट की जानकारी नहीं है। वहीं उत्तर मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी अमित मालवीय ने बताया कि मामले की जांच कराकर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। 


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