Dussehra 2021: कानपुर के अतिप्राचीन मंदिर में हुआ दशानन का पूजन, नीलकंठ के दर्शन को उमड़े भक्त
Dussehra 2021 कानपुर के दशानन मंदिर में उन्नाव कानपुर देहात फतेहपुर आदि जिलों से लोग दशानन का पूजन करने आते हैं। पहले तो नवरात्र की सप्तमी अष्टमी और नवमी तिथि को छिन्नमस्ता मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते थे।
कानपुर, जेएनएन। दशहरा या विजयादशमी को असत्य पर सत्य की जीत के लिए मनाया जाता है। दशहरा में पिछले कई वर्षों से शिवाला स्थित मंदिर में रावण की पूजा की गई। सिर्फ दशहरे के दिन साल में एक बार इस मंदिर का पट खोला जाता है। इस मंदिर का नाम दशानन मंदिर है और इसका निर्माण 1890 में हुआ था। शुक्रवार को सुबह से ही दशानन मंदिर के साफ सफाई और श्रृंगार पूजन के बाद भक्तों के लिए खोल दिए गए। भक्तों ने लंकापति रावण के दर्शन कर सुख समृद्धि और परिवार कल्याण की कामना की। साल में केवल एक बार दशहरे के दिन मंदिर खुलने के कारण सुबह से ही मंदिर को बाहर भक्तों की भीड़ एकत्र हो गई। बारी बारी भक्तों ने लंकापति को प्रसाद और पुष्प अर्पित किया। भक्तों द्वारा रावण की आरती उतारी गई। भक्तों में मान्यता है कि लंकापति के दर्शन करने से परिवार और बच्चों का कल्याण होता है।
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संध्याकाल में रावण के पुतला दहन के पहले इस मंदिर के दरवाजे एक साल के लिए बंद कर दिए जाते हैं। करीब 126 साल पहले महाराज गुरू प्रसाद शुक्ल ने इसका निर्माण कराया था। स्थानीय लोगों के अनुसार रावण प्रकांड पंडित होने के साथ साथ भगवान शिव का परम भक्त था। इसलिए शक्ति के प्रहरी के रूप में यहां कैलाश मंदिर परिसर में रावण का मंदिर बनाया गया। वर्ष में एक बार दशहरा पर्व के अवसर पर मंदिर में साफ सफाई कर दशानन का विधि विधान से पूजन अर्चन किया जाता है। भक्ति दूर-दूर से आता है लंकापति रावण के दर्शन कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं। मंदिर में दर्शन करने से भक्तों के अहंकार का नाश होता है और भी सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं। भक्तों में मान्यता है कि दशानन की आरती के समय नीलकंठ के दर्शन भक्तों का होते हैं। सुबह से ही मंदिर में सरसों के तेल का दीया और तरोई के पुष्प भक्तों द्वारा अर्पित किए गए।