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सीसामऊ बाजार में दिन चढ़ते ही गुम हो जाती है सड़क, रेंगते हैं वाहन पैदल चलने वालों की भी आफत

शहर के तीन सर्वाधिक अतिक्रमण प्रभावित क्षेत्रों में सीसामऊ बाजार शुमार है। यहां शाम को पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। यहां फुटपाथ से दुकानदार व पुलिस माटी कमाई करती है। यहां फुटपाथ ही नहीं बीच सड़क तक दुकानें सजी मिल जाएंगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 09:32 AM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 09:32 AM (IST)
सीसामऊ बाजार में दिन चढ़ते ही गुम हो जाती है सड़क, रेंगते हैं वाहन पैदल चलने वालों की भी आफत
सीसमऊ बाजार में सड़क तक दुकाने सजने से लोगों को काफी परेशानी होती है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। यूं तो शहर की तमाम बाजारों में फुटपाथ पर कब्जे हैं, मगर सीसामऊ बाजार का मामला उनसे बिल्कुल अलग है। दूसरे स्थानों में जहां फुटपाथ पर कब्जे के चलते जाम लगता है, वहीं सीसामऊ बाजार में दिन चढ़ते ही सड़क तक अपना वजूद खो देती है। फुटपाथ ही नहीं बीच सड़क तक दुकानें सज जाती हैं। केवल इतनी जगह शेष रहती है कि पैदल आने जाने वाले दो व्यक्ति एक साथ निकल सकें। सड़क को बंधक बनाने में दुकानदारों के साथ पुलिस की भी मिलीभगत है। रोजाना लाखों की वारे न्यारे होते हैं, इसीलिए इतने खराब हालात के बाद भी जिम्मेदार आंखों पर पट्टी बांधे हुए हैं। 

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सीसामऊ में शहर की सबसे व्यस्त बाजार सजती है। यह बाजार एक ओर से जवाहर नगर तो दूसरी ओर पी रोड से जुड़ा हुआ है। यहां पर स्थायी दुकानदारों की संख्या करीब पांच सौ होगी, जिसमें कपड़े, शादी ब्याह का सामान, महिलाओं से जुड़े प्रसाधन और घरेलू उपयोग से जुड़ी वस्तुओं की दुकानें सर्वाधिक हैं। यहां सौ फीसद दुकानदारों ने फुटपाथ पर कब्जा कर रखा है। इतना ही नहीं फुटपाथ के आगे पांच से सात फीट तक सड़क तक दुकानें बढ़ा ली हैं। 30 फीट चौड़ी सड़क 15 से 20 फीट ही बचती है। इसके बाद नंबर आता है ठेले वाले व स्टैंड पर दुकान लगाने वालों का। पांच सौ दुकानों के सामने पांच से सात सौ अवैध दुकानदारों ने बाजार सजाया हुआ है। जैसे-जैसे दिन चढ़ता है ठेले वालों की संख्या के साथ खरीदारों की भीड़ भी बढ़ जाती है। दोपहर बाद यहां सड़क गायब हो जाती है और ऐसा नजारा दिखाई पड़ता है, जैसे कोई मेला लगा हो।  

वसूली ही वसूली: सीसामऊ बाजार स्थायी दुकानदारों और पुुलिस के लिए ऐसी दूध देने वाली गाय है, जो बिना चारा पानी खिलाए ही कमाई का जरिया बनी हुई है। सूत्रों के मुताबिक स्थायी दुकानदार अपनी दुकान के आगे ठेले लगाने वालों से रोजाना तीन सौ से चार सौ रुपये लेते हैं। जो बीच सड़क पर आकर ठेले खड़े कर देते हैं, उनकी वसूली पुलिस करती है और रेट यही हैं। इसके अलावा स्थायी दुकानदार अतिक्रमण के लिए थाना पुलिस को महीने में मोटी रकम देते हैं। यह रकम पांच हजार से दस हजार रुपये प्रति दुकान है। इस तरह से यहां का अवैध लेनदेन रोजाना ही लाखों में है। 

दर्जनों बार हट चुका है अतिक्रमण: पुलिस के लिए सीसामऊ बाजार किस तरह से कमाऊ पूत है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक यहां पर दर्जनों बार अतिक्रमण हटाया जा चुका है। पिछले पांच सालों में ही 20 बार अतिक्रमण हटवाया गया, मगर दूसरे दिन ही बाजार पुरानी स्थिति में आ जाता है। नियम यह है कि नगर निगम एक बार क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त करके थाना पुलिस के हवाले कर देगी, उसके बाद जिम्मेदारी पुलिस की है। पुलिस हरे नीले नोट देखते ही आंख मूंद लेती है। 

क्या बोले जिम्मेदार:

-अधिकांश बाजारों में जाम की असली समस्या यह है कि बाजारों में पार्किंग नहीं है। सीसामऊ बाजार के लिए भी मैंने गीतानगर पार्क में पार्किंग का प्रस्ताव दिया था, मगर काम नहीं हुआ। पार्किंग की व्यवस्था ठीक हो जाए तो बाजारों में जाम की समस्या समाप्त हो जाएगी। फुटपाथ भी हर हाल में खाली होने चाहिए। - इरफान सोलंकी, विधायक सीसामऊ 

-सीसामऊ बाजार का सर्वे कराकर हर हाल में फुटपाथ खाली कराया जाएगा। अवैध दुकानें नहीं लगने दी जाएंगी। अन्य स्थानों की तरह यहां भी अभियान चलाकर सड़क खाली कराई जाएगी। थाना पुलिस की जिम्मेदारी भी तय होगी और दोबारा अतिक्रमण हुआ तो कार्रवाई होगी। - बीबीजीटीएस मूर्ति, डीसीपी पश्चिम 

-कई बार यहां पर अतिक्रमण हटाया जा चुुका है। मगर, स्थानीय पुलिस व्यवस्था को नियमित नहीं रख पाती है। इसकी वजह से ही जाम लगता है।  पुलिस के साथ मिलकर एक बार फिर अभियान चलाकर अवैध दुकानें हटाई जाएंगी।- पूजा त्रिपाठी, जोनल प्रभारी 4 


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