Road Accident in Etawah : चेहरे पर बदहवासी और मृत स्वजन को ढूंढ़ती सूनी आंखें, इमरजेंसी वार्ड में दिखी दर्द भरी चीत्कारें
रामखिलाड़ी ने बताया कि गुलाब ङ्क्षसह उनसे बड़े थे। दोनों भाई गैस सिंलडर की होम डिलीवरी का काम करते थे। रामखिलाड़ी बताते हैं कि मोड़ पर चालक ने जब नियंत्रण खो दिया तो तीन पलटी मारते हुए डीसीएम गहरी खाई में गिरी थी। इससे चीख-पुकार मच गई।
कानपुर, जेएनएन। मोर्चरी के फर्श और स्लैब पर पड़े वे 10 अभागे दो घंटे तक पहचान को तरस रहे थे। उनकी तलाश में प्रियजनों के चेहरों पर बदहवासी थी तो आंखों में सूनापन। चंबल की करीब 30 फीट गहरी खाई में डीसीएम गिरने से इन अभागों के चेहरों और बदन पर धूल लिपटी थी। इसलिए बंद मोर्चरी की खिड़की से झांककर सभी की शिनाख्त करना आसान नहीं था। जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में प्रियजन की तलाश में हर चेहरे को घूरती निगाहें जब मोर्चरी की तरफ बढ़ी तो ताला खुलवा कर मृतकों को उलट-पलट कर पहचानने की कोशिश की गई। 10 मृतकों को दो घंटे बाद पहचान मिल ही सकी थी, तब तक गुलाब सिंह ने भी इमरजेंसी वार्ड से मोर्चरी तक का मुकाम स्ट्रेचर से पूरा किया। गुलाब सिंह ने उपचार के दौरान दम तोड़ा। उनकी लकड़ी की खपिचियों से कसी एक बांह स्ट्रेचर से बाहर झूल रही थी।
रामखिलाड़ी ने बताया कि गुलाब ङ्क्षसह उनसे बड़े थे। दोनों भाई गैस सिंलडर की होम डिलीवरी का काम करते थे। रामखिलाड़ी बताते हैं कि मोड़ पर चालक ने जब नियंत्रण खो दिया तो तीन पलटी मारते हुए डीसीएम गहरी खाई में गिरी थी। इससे चीख-पुकार मच गई। वह सलामत थे, इसलिए हताहत लोगों को खाई से निकालने में जुटे रहे। भाई गुलाब सिंह को बड़ी मुश्किल से निकालकर गंभीर हालत में एंबुलेंस से जिला अस्पताल पहुंचा सके थे। वीरेंद्र ने शनिवार की सुबह उनके घर पर आकर मुंडन संस्कार में लखना वाली कालका मैया के मंदिर पर चलने का बुलावा दिया था। वीरेंद्र एक दिन पहले ही मुंडन संस्कार के सिलसिले में दिल्ली से अपने घर खिड़किया मोहल्ला आए थे। उनके बुलावे पर उन दोनों भाईयों के अलावा घर के अन्य स्वजन भी साथ चलने को तैयार हो गए थे। डीसीएम को किराये पर लिया गया था। दुर्घटना में चालक भी घायल हो गया है।
का बताएं, कैसे पलट गई गाड़ी : इमरजेंसी वार्ड में भर्ती रजनी पत्नी नीरज धनगर निवासी गढ़ी पचौरी पिनहाट आगरा बैड पर पल्थी मारे बैठी थी तो उसकी मासूम बेटी आर्या लेटी थी। हादसे के बाद उसको सीधे इमरजेंसी वार्ड में लाकर भर्ती कराया गया, इसलिए हादसे में अन्य स्वजन के हताहत से वह अंजान थी। उसने हादसे में ससुर हाकिम सिंह को खो दिया था, लेकिन यह बताने के लिए कोई नहीं था। वह भर्ती होने के बाद से ही बदहवास थी तो मासूम बेटी घावों से कराह रही थी। पूछने पर रजनी बोली, का बताएं, कैसे पलट गई गाड़ी। वह बताती हैं कि वह बेटी, पति और सास बिट्टी देवी, ससुर हाकिम सिंह के साथ घर से चली थी। उसको सिर्फ इतना पता था कि उसकी बहन मधु का एक पैर टूट गया है।
खून से सने चेहरों पर लिपटी धूल : रामवती पत्नी बिजेंद्र जिस बैड पर बदहवास बैठी थी, उसी पर उसके अगल-बगल में मासूम अंशू, अंकित बघेल लिटाए गए थे। उनके चेहरों पर घाव से खून बहा, लेकिन धूल से लिपटकर सूख गया था। मासूम चेहरे बतौर इलाज साफ होने का इंतजार कर रहे थे और मेडिकल स्टाफ हताहत लोगों के आने, उनकी शिनाख्त, गणना में व्यस्त था। बदहवासी के आलम में कई महिलाओं, मासूम बच्चों को घंटों प्राथमिक उपचार के लिए इंतजार में कराहते रहना पड़ा।