Move to Jagran APP

Drug Mafia: तीन गुना मुनाफे के लिए मादक पदार्थों में होती है मिलावट, गांजे मे सूखा पत्ता तो स्मैक में....

गांजे में मिलावट के लिए गोभी और बंद गोभी के पत्ते जुटाकर उन्हें धूप में सुखाते हैं। कड़क सूखने के बाद उन्हें हाथ से मीस कर मिलाते हैं। वहीं स्मैक भूरे रंग में पाउडर जैसी होती है तो उसमें चूल्हे से निकलने वाली राख को छानकर उसका बुरादा मिलाते हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 08:41 AM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 08:41 AM (IST)
Drug Mafia: तीन गुना मुनाफे के लिए मादक पदार्थों में होती है मिलावट, गांजे मे सूखा पत्ता तो स्मैक में....
मादक पदार्थों में मिलावट का खेल भी होता है। प्रतीकात्मक फोटो।

कानपुर, जागरण संवाददाता। मादक पदार्थों के बाजार में बड़ा मुनाफा कमाने के लिए विक्रेता उसमें मिलावट करते है। इनमें व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता इस कदर रहती है कि मिलावट के बाद भी सभी अपने माल को खरा बताते हैं। जबकि हकीकत इससे कहीं इतर होती है। मिलावट की बात की जाए तो सौ ग्राम में 25 ग्राम असली तो शेष मिलावट का हिस्सा होता है। नशा गहरा न होने पर ग्राहक एक के बाद दूसरी पुड़िया खरीदकर अपनी लत को पूरा करते हैं।

loksabha election banner

नशे की मंडी में विक्रेताओं में अधिक से अधिक माल की खपत करने की होड़ रहती है। गांजे में मिलावट के लिए सब्जी मंडियों में कूड़े के तौर निकलने वाले गोभी और बंद गोभी के पत्ते जुटाकर उन्हें धूप में सुखाते हैं। कड़क सूखने के बाद उन्हें हाथ से मीस कर मिलाते हैं। वहीं स्मैक भूरे रंग में पाउडर जैसी होती है तो उसमें चूल्हे से निकलने वाली राख को छानकर उसका बुरादा मिलाते हैं। जबकि चरस में धूप बत्ती समेत अन्य चीजों की मिलावट की जाती है। मिलावट कुछ इस तरह से करते है कि सौ ग्राम माल तैयार करने में वास्तविक 25 ग्राम होता है। शेष 75 ग्राम मिलावट वाली सामग्री होती है। मिलावटी माल बेचकर मादक पदार्थों की बिक्री करके तीन गुना मुनाफा कमाते हैं।

आसानी से उपलब्ध होता इस्तेमाल करने का सामान: नशे की मंडी में सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। इससे जुड़ा हर सामान आसपास की दुकानों में आसानी से उपलब्ध होता है। स्मैक पीने के लिए पहले नशे के लती लोग सिगरेट की डिब्बी में निकलने वाली सिल्वर कोटेड पेपर का इस्तेमाल करते थे। क्योंकि उसके नीचे मोमबत्ती जलाने से वह काला तो पड़ता है, लेकिन जलता नहीं है। सिगरेट की डिब्बी से निकलने वाले पेपर को भी दुकानदार पांच रुपये में बेचता था। किल्लत होने पर अब इसकी जगह एल्यूमीनियम फ्वाइल पेपर ने ले ली है। पांच से दस रुपये में छोटा सा टुकड़ा मिलता है। कुछ लोग गांजा पीने के लिए गोगो पेपर का इस्तेमाल करते हैं। कुल रेडीमेड पेपर पाइप तो कुछ सिगरेट में भरकर इसे पीते हैं।

बोले जिम्मेदार: संगठित अपराध के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। कंजरनपुरवा में भी छापेमारी करके कार्रवाई की जाएगी। - रवीना त्यागी, डीसीपी साउथ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.