भ्रष्टाचारियों की बंदरबांट की भेंट चढ़ी करोड़ों की पेयजल योजना, टंकियां भी अब फूटने लगीं
Water issues in kanpur जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल मिशन (जेएनएनयू्आरएम) योजना के तहत शहर में दो फेस में 869 करोड़ रुपये से पाइप लाइन बिछाने वाटर ट्रीमटेंट प्लांट का निर्माण 76 पंपिंग स्टेशन टंकियों का निर्माण कराया गया।
कानपुर, जेएनएन। जवाहर लाल नेहरू नेशन अरबन रिन्यूवल योजना में सीवरेज और पेयजल के 17 अरब 13 करोड़ रुपये के कार्य किए गए। इसमें 844 करोड़ रुपये से सीवरेज और 869 करोड़ रुपये की पेयजल के कार्य किए गए। 869 करोड़ रुपये की पेयजल योजना भ्रष्टाचारियों के बंदरबाट की भेंट चढ़ गई। घटिया पाइप पड?े के कारण घरों तक पानी पहुंचने के बजाए सड़क पर भी भ्रष्टाचार का फव्वारा फूट पड़ता है। वर्ष 2015 से अब तक टेस्टिंग ही चल रही है इस दौरान आठ सौ से ज्यादा जगह फाइल फट चुके है। करोड़ों रुपये की सड़कें बर्बाद हो गई। वर्ष 2007 से शुरू हुई योजना अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। 14 साल गुजर जाने के बाद भी चालीस करोड़ लीटर में अभी तक मात्र छह करोड़ लीटर ही जलापूर्ति हो रही है।
इसमें भी एक करोड़ लीटर पानी लीकेज में ही बह जाता है। जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल मिशन (जेएनएनयू्आरएम) योजना के तहत शहर में दो फेस में 869 करोड़ रुपये से पाइप लाइन बिछाने, वाटर ट्रीमटेंट प्लांट का निर्माण, 76 पंपिंग स्टेशन, टंकियों का निर्माण कराया गया।वर्ष 2012 से 2015 के बीच में पाइप डाले गए।इसके बाद टेस्टिंग शुरू हुई तो जमीन में दफन भष्टाचार का खेल फव्वारे के रूप में फूटने लगा। हालत यह है कि अभी तक पाइप लीकेज के चलते जलापूॢत नहीं हो पाई है। अब तक करोड़ों रुपये की सड़कें उखड़ चुकी है।
15 किलोमीटर घटिया पाइप ने रोक रखी बैराज से शहर की जलापूर्ति : जेएनएनयूआएम योजना के तहत पहले फेज 393.93 करोड़ रुपये में बैराज से कंपनी बाग चौराहा तक 21 सौ एमएम प्री स्ट्रेस्ट सीमेंट कंक्रीट (पीएससी) पाइप डाले गए। इसके बाद ग्लास फाइबर रीनफोर्स (जीआरपी) पाइप कंपनी बाग से फूलबाग तक और कंपनी बाग से बाराहदेवी तक लगभग 15 किलोमीटर तक डाले गए। इसमें 18 सौ एमएम, 16 सौ एमएम और 14 सौ एमएम पाइप डाले गए। वर्ष 2012 से 2015 तक के बीच में पाइप डाले गए। टेस्ंिटग के साथ ही भ्रष्टाचार फव्वारे फटने लगे। छह साल में आठ सौ से ज्यादा स्थानों में पाइप फट चुके है। बैराज पूरी तरह नहीं चल पा रहा है। घटिया पाइपों के चलते बैराज से चालीस करोड़ रुपये की जगह छह करोड़ ही जलापूर्ति हो पा रही है।
कंपनी - मैसर्स विचित्रा प्रीस्ट्रेसट कांक्रीट उद्योग प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली को पीएससी पाइप देने का अनुबंध हुआ था लेकिन जीआरपी की पाइप की सप्लाई हो गई।
आइआइटी ने भी निगेटिव रिपोर्ट दी थी : आइआइटी ने से पाइपों की जांच कराई गई थी आइआइटी ने भी पाइपों को घटिया बताया था इनको बदलने के लिए कहा था यहा प्रेशर से जलापूॢत करने को कहा था।
टीएसी जांच दल ने वर्ष 2019 में की थी जांच : तकनीकि जांच टीम ने 16 सितंबर से 21 सितंबर 2019 तक स्थलीय जांच की गई जिसमें मुख्यत:मामला पकड़ में आया। परियोजना के जनोपयोगी न होने का मुख्य कारण पीएससी पाइप को बदल कर जीआरपी पाइप का उपयोग किय गया है। उत्तरदायी अफसरों द्वारा अनुमति के बिना किसी विस्तृत जांच के ही जीआरपी पाइप की आपूॢत की गई। गुणवत्ता के अनुसार पाइप नहीं है।इसके पहले पूर्व मंडलायुक्त इफ्तिखारूद्दीन ने टीएसी जांच कराई थी। इसमें नौ अभियंताओं के नाम सामने आए थे। जांच के लिए शासन को रिपोर्ट भी भेजी थी लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अब जांच में खुलासा हो गया।
सरकारी धन का गबन, अपराधिक प्रवृत्ति : रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि यह कार्य अनियमितता की श्रेणी में आता है। जांच में साफ कहा गया है कि यह गड़बडि?ां वृहद श्रेणी की है। अफसरों ने पूरी जानकारी के बावजूद गड़बड़ी की है। यह मामला अपराधिक प्रवृत्ति से संबंधित है।
15 किमी पाइप की जगह लोहे के पाइप डालने के लिए 164 करोड़ का भेजा था प्रोजेक्ट : जल निगम ने दो साल पहले 15 किलोमीटर घटिया पाइप बदलने के लिए लोहे के पाइप डालने के लिए 164 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट भेजा था। अब शासन ने पाइपों का लेमिनेशन करने का प्रस्ताव मांगा है । जल निगम ने 95 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट भेजा है।
जेएनयूआरएम के पेयजल प्रोजेक्ट का हाल
फेस-एक के प्रोजेक्ट की लागत - 270.95 करोड़
बढ?े के बाद लागत- 393.93 करोड़
काम शुरू - मई 2007 मे
वाटर ट्रीटमेंट प्लाट की क्षमता- 200 एमएलडी (गंगा बैराज)
मुख्य पाइप लाइन- 51.61 किमी
घरेलू पाइप लाइन- 700 किमी
कुल ओवरहेड टैंक- 14
फेज दो की स्थिति
प्रोजेक्ट की लागत - 377.79 करोड़
बढ़ी लागत- 475.15 करोड़
काम शुरू- नवंबर 2008
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट- 200 एमएलडी (गंगा बैराज)
गुजैनी में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट - 28.5 एमएलडी
मुख्य पाइप लाइन- 65 किमी
घरेलू पाइप लाइन -1045 किमी
31 ओवरहेड टैंक
कब कब खुली भ्रष्टाचार की पोल : मैकराबर्टगंज, सर्वोदयनगर, पीरोड, काकादेव, विजय नगर, दादानगर, बड़ा चौराहा, फूलबाग, रावतपुर, गुजैनी, बर्रा, कंपनी बाग चौराहा, तिलक नगर, जरीब चौकी, मोतीझील, 80 फीट रोड, बकरमंडी, बजरिया, परेड समेत आठ सौ जगह घटिया पाइपों के कारण लीकेज हुए। अभी भी लीकेज हो रहे है।
बैराज से चालीस करोड़ लीटर जलापूर्ति की व्यवस्था- छह करोड़ लीटर ही हो रही जलापूर्ति
मिलता जनता को पानी - दस लाख लोगों को
चार करोड़ के पड़े नीले पाइप - दब गए सड़क व फुटपाथ निर्माण में और गई जगह जानवर चबा गए।
अभी और नपेंगे : पेयजल योजना में अभी कई अफसर और नपेंगे। इसकी जांच चल रही है। कई खेल खेलने वाले अफसर सेवानिवृत्त हो गए है। इसमें शासन के अफसर भी नपेंगे।
इनका ये है कहना
- घटिया पाइप डालने के मामले में 24 अभियंताओं पर मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। इस मामले में विस्तृत जांच हो रही है। - शमीम अख्तर, परियोजना प्रबंधक जल निगम