मिलिए, कानपुर की मीनाक्षी से, जिनकी प्रस्तुति गढ़ रही सुनहरा भविष्य
कानपुर में बेसहारा और गरीब बच्चों को शिक्षित करने और उनके घरवालों को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए बेहतर प्रयास कर रही हैं।
कानपुर, अंकुश शुक्ल। बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है, इसी भविष्य को सुनहरा बनाने के लिए कानपुर की डॉ. मीनाक्षी अनुराग जुटी हुई हैं। उनकी सामाजिक 'प्रस्तुति' ने तमाम उन बेसहारा बच्चों के मन में पढ़ाई का अनुराग जगा दिया है जो कभी स्कूल जाने की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। आज ये बच्चे सुनहरे भविष्य की इबारत लिख रहे हैं। सिर्फ बच्चे ही नहीं उनकी मां और बहनों को प्रस्तुति फाउंडेशन आत्मनिर्भर बना रहा है। मैकराबर्टगंज निवासी डायटीशियन डॉ. मीनाक्षी बताती हैं कि वे किटी पार्टी में हजारों रुपये खर्च कर देती थीं। एक दिन कुछ गरीब परिवार के बच्चों को देखकर महसूस हुआ कि अगर इन जैसे बच्चों की शिक्षा में ये धन लगाएं तो उनका भला होगा। इसके लिए वर्ष 2014 में प्रस्तुति फाउंडेशन बनाया।
केस-1 : परमट में बड़ी बहनों के साथ रहने वाली 15 वर्षीय मोहिनी गुप्ता के माता-पिता नहीं हैं। प्रस्तुति फाउंडेशन ने उसका दाखिला कैलाशनाथ विद्यालय सिविल लाइंस में कराया। मोहिनी ने हाईस्कूल की परीक्षा इसी साल 62 फीसद अंकों संग उत्तीर्ण की। फाउंडेशन ने उसकी बड़ी बहन सोनी व शालिनी को ब्यूटीशियन का कोर्स कराकर रोजगार से जोड़ा।
केस-2 : मसवानपुर में रहने वाली 13 वर्षीय मुस्कान महाराणा प्रताप स्कूल में आठवीं की छात्रा हैं। उसके पिता का कई वर्ष पहले निधन हो चुका है। उसका और छोटे भाई का मां विजया जैसे-तैसे भरण-पोषण कर रही थीं। मुस्कान ने बस्ती में फाउंडेशन का बोर्ड लगा देखा तो अपनी मां को बताया। मां ने फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी अनुराग से संपर्क किया। अब संस्था की मदद से बेटी अच्छी शिक्षा पा रही है और मां टिफिन में लोगों को भोजन पहुंचा रही हैं।
ऐसे ढूंढ़े जरूरतमंद बच्चे
डॉ. मीनाक्षी बताती हैं कि ऐसे बच्चों को ढूंढऩे के लिए गोविंद नगर, मसवानपुर, ग्वालटोली, रावतपुर, बर्रा, जरौली, नवाबगंज आदि मलिन बस्तियों में बोर्ड लगाए। उन्होंने निश्शुल्क शिक्षा व मां को रोजगार से जोड़ा। संस्था ने 60 ब'चे गोद लिए हैं। इनमें पांच बच्चों के माता-पिता नहीं हैं।
बच्चे उठाते हैं पार्टी का आनंद
फाउंडेशन का हर सदस्य अभिभावक बनकर बच्चों का ख्याल रखता है। कंचन सिंह, मधु मलिक, जिम्मी भाटिया, अमरजीत कौर, राजेंद्र तनेजा, अमित अग्रवाल व रघुनाथ गुप्ता बच्चों की प्रतियोगी परीक्षा कराते हैं। उनकी स्वास्थ्य जांच भी कराते हैं। वर्ष में एक बार ब'चे और फाउंडेशन के सदस्य पार्टी करते हैं। डॉ. मीनाक्षी बताती हैं कि हर बच्चे पर 20 से 22 हजार रुपये सालाना खर्च आता है, जिसका इंतजाम फाउंडेशन के सदस्य करते हैं।